भारत में जर्मनी के राजदूत वॉल्टेर जे लिंडनर ने मंगलवार को कहा कि “भारत की जनसँख्या 1.4 अरब है और उनकी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट होनी चाहिए। उनकी गैरमौजूदगी वैश्विक संस्था की विश्वसनीयता को नुकसान पंहुचा सकती है।”
उन्होंने कहा कि “भारत की यूएन सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता होनी चाहिए। 1.4 अरब जनसँख्या के साथ भी वह अभी तक यूएन का स्थायी सदस्य नहीं है। यह समझ से परे हैं। यह ऐसे आगे नहीं बढ़ सकता है क्योंकि यह यूएन प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पंहुचा सकता है।”
एक लम्बे अरसे से कई राष्ट्र यूएन सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं। यूएन का संस्थापक सदस्य भारत यूएन में शान्ति स्थापित करने के अभियान में विशाल संख्या में सैनिको की तैनाती करने वाला देशों में शुमार है। यूएन ने गैर स्थायी सदस्य के तौर पर भारत की सात दफा तैनाती हो चुकी है। हाल ही में साल 2011-2012 में था।
यूएन की सुरक्षा परिषद् में वीटो अधिकार के साथ पांच स्थायी सदस्य हैं और वह अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस है। जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के बाबत राजदूत ने कहा कि “देशों की तरफ से आया परिणाम संतोषजनक था जिसने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मज़बूत किया है।”
उन्होंने कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के नियमों में एक यह है कि आपको परदे के पीछे से कार्य करना होगा। यह हमारे और भारत के लिए संतोषजनक परिणाम था और इससे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मज़बूत हुई है। आतंकियों का कोई भविष्य नहीं होना चाहिए, चाहे वे जहाँ हो, जैसे हो या जो हो।”
आतंक रोधी सहयोग की मज़बूती की जरुरत के बाबत उन्होंने कहा कि “हम भारत के साथ एकजुट होकर कार्य करेंगे। भारत की 1.4 अरब जनसँख्या है और वह आतंकवाद का पीड़ित रहा है, इसलिए उसकी आवाज बुलंद है।” यूएन ने 1 मई को मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल कर दिया था और यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी।
अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में डालने प्रस्ताव पर चीन ने दस वर्षों में चार बार तकनीकी रोक लगाई थी। बीजिंग ने साल 2009, 2016 और 2017 में भारत के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाया था। इस प्रतिबन्ध के तहत अज़हर की संपत्ति को जब्त कर लिया गया है और उसकी यात्रा पर प्रतिबन्ध लग गया है।
भारत में चुनावो के एग्जिट पोल के मुताबिक भाजपा की अध्यक्षता वाली एनडीए सरकार सत्ता पर दोबारा काबिज होगी, इस बाबत लिंडनर ने कहा कि “जर्मनी किसी भी भारतीय सरकार के साथ बेहतर सम्बन्ध कायम रखेगी, चाहे कोई भी लोकसभा के चुनावो में बाजी मार जाए।”