विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को चीनी समकक्षी वांग यी से मुलाकात की थी और संयुक्त हित के वैश्विक व क्षेत्रीय मामलो पर चर्चा की थी। जयशंकर तीन दिवसीय चीन की यात्रा पर है और वह दूसरी भारत-चीन हाई लेवल मैकेनिज्म की बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे।
जयशंकर ने कहा कि “वैश्विक राजनीति में भारत के साथ चीन के संबंधो का अनोखा स्थान है और वर्षों से ऐसा ही है।” मई में सत्ता पर आसीन होने के बाद जयशंकर की चीन की यह पहली अधिकारिक यात्रा है। वह रविवार को बीजिंग पंहुचे थे और इस दौरान भारत और पाक के सम्बन्ध बेहद तनावग्रस्त है।
एचएलएम के गठन का निर्णय मोदी और जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक मुलाकात के दौरान लिया गया था, जो बीते वर्ष वुहान में आयोजित हुई थी। एचएलएम बैठक का उद्घाटन समारोह बीते वर्ष 21 दिसम्बर को नई दिल्ली में हुआ था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “दूसरी एचएलएम बैठक के दौरान पहली एचएलएम बैठक के परिणामो पर चर्चा की जाएगी और दोनों देशों के बीच जनता से जनता के संबंधों के विस्तार के नए पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।” वांग के साथ बैठक में जयशंकर ने दोहराया कि वुहान सम्मेलन में हमारे नेताओं ने गहन, परामर्श और खुले विचारो को साझा किया गया था।
जयशंकर ने बीते महीने बैंकाक में आसियान सम्मेलन के इतर चीनी समकक्षी से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने अपने विचारो का आदान प्रदान किया था और भारत चीन संबंधों को मज़बूत करने के तरीको पर चर्चा की थी।
बीते हफ्ते भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और इसकी इस्लामाबाद ने सख्त आलोचना की थी। भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को निलंबित करना भी शामिल है। जयशंकर की यात्रा से पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चीन की यात्रा की थी और चीनी समकक्षी के साथ कश्मीर मुद्दे को उठाया था।
वांग के साथ मुलाकात में कुरैशी ने मांग की कि “इस वक्त विश्व अत्यधिक अनिश्चित है, हमने यकीन है कि हमारे सम्बन्ध इस इलाके में स्थिरता का कारक होगा।” चीन ने हाल ही में 370 को हटाने के सरकार के निर्णय की आलोचना की थी। भारत ने बयान जारी कर कहा कि यह कदम एक आंतरिक मामला है।”