Fri. Dec 27th, 2024

    जम्मू और कश्मीर के लिए राज्य के स्थान की बहाली की बढ़ती मांगों के बीच पिछले 10 दिनों में तीन संसदीय समितियों के सदस्यों द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया गया है।

    संसदीय पैनल द्वारा ये दौरे न केवल जम्मू-कश्मीर के विभाजन और अनुच्छेद 370 के तहत अपनी विशेष स्थिति को हटाने के दो साल बाद हुए हैं बल्कि जून में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद सहित 14 नेताओं से मिलने के बमुश्किल दो महीने बाद हुए हैं।

    14 और 22 अगस्त के बीच जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले सभी तीन पैनल कांग्रेस के नेताओं के नेतृत्व में थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के तरीके का विरोध किया था। अगले महीने शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के जम्मू-कश्मीर जाने की संभावना है।

    रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी छह दिवसीय यात्रा समाप्त की।

    गृह मामलों के पैनल से पहले लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) ने भी जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर और लद्दाख में कारगिल और लेह का दौरा किया ताकि ऊंचाई पर तैनात सैनिक सुरक्षात्मक कपड़ों के मुद्दे की जांच की जा सके। पीएसी के सदस्यों ने श्रीनगर स्थित 15 कोर और भारतीय सेना के लेह स्थित 14 कोर का दौरा कर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। दरअसल, अधीर रंजन चौधरी ने 15 अगस्त को भारतीय सैनिकों के साथ कारगिल में तिरंगा फहराया था।

    एक अन्य पैनल जिसने लगभग उसी समय श्रीनगर, पहलगाम और गुलमर्ग का दौरा किया वह है अधीनस्थ विधान समिति जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने की, जो अपशिष्ट प्रबंधन, जल निकायों के कायाकल्प और बैंकों द्वारा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण देने का अध्ययन करने गयी थी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *