जम्मू-कश्मीर सरकार ने बीते दिनों पांच हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है। जिसमें हुर्रियत कॉंफ्रेंस के प्रमुख उमर फारुख, अब्दुल घनी भट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह शामिल थे।
आज जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने अन्य 18 और हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली। जिन नेताओं की सुरक्षा घटा दी गई और वापस ले ली गई उनमें सैयद अली शाह गिलानी, आगा सैयद मोसवी, मोहम्मद अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, ज़फ़र अकबर भट, नईम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाज़ा, फारूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, आगा सैयद अबुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह और मोहम्मद मुसद्दिक भट्ट शामिल हैं।
यह आदेश पुलवामा हमले के पांच दिनों बाद सामने आया है। जिसमें जैश-ए-मोजम्मद संगठन के एक आंतकवादी ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया और 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे।
सुरक्षा वापस ले ली जाने के बाद हुर्रियत नेताओं के प्रवक्ता ने कहा कि,”अलगाववादियों ने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी, बल्कि बार-बार सरकार से आग्रह किया था कि सुरक्षा वापस ले लें।” सुरक्षा इंतजामों के साथ-साथ सरकार ने उन पांच अलगाववादि नेतओं से उनके वाहन भी वापस ले लिए हैं।
हमले के बाद अलगाववादी नेताओं को दिए गए सुरक्षा इंतजामों को वापस लेने के मांग भाजपा के लोगों और नेताओं से आ रही थी। कश्मीर घाटी में सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को कश्मीर की यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस आदेश पर अंतिम मुहर लगा दी। उन्होंने कहा कि,”पाकिस्तान और आईएसआई द्वारा वित्तीय रुप से पोषित किए जा रहे नेताओं को दी जानी वाली सुरक्षा पर समीक्षा आवश्यक है।”