केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कृषि एवं वाणिकी के फसलों के उत्पादन बढ़ाने और किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाने के लिए संजीदा सरकार वहां न्यूट्रीशनल पार्क लगाने पर विचार कर रही है, जिससे प्रदेश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
कुदरती आबोहवा को लेकर दुनिया में सरजमीं पर जन्नत के नाम से मशहूर कश्मीर की दशा सुधारकर प्रदेश को नई दिशा देने की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में बुनी थी, जब उन्होंने अपने एक दौरे के दौरान केसर क्रांति लाने का आह्वान किया था।
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने सितंबर में प्रदेश का दौरा कर श्रीनगर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेंपरेट हॉर्टिकल्चर के वैज्ञानिकों से बातचीत कर वहां के किसानों की सामाजिक व आर्थिक उन्नति के लिए संस्थान की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली थी।
एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि मंत्री ने अपने दौरे के दौरान पाया कि वहां खाद्य-प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किए जाने से बागवानी से जुड़े किसानों को उनके उत्पादों का उचित दाम मिल पाएगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
सूत्र ने बताया, “सरकार जम्मू-कश्मीर में न्यूट्रीशनल पार्क लगाने पर विचार कर रही है, जिसके तहत खाद्य प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किए जाएंगे और फलों व सब्जियों का प्रसंस्करण वहां होने से किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे, क्योंकि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से इस कार्य को अंजाम दिया जाएगा, जिसमें युवाओं की भागीदारी होगी।”
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में काफी अवसर हैं, इसलिए सरकार इस दिशा में प्रयासरत है और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) व दूसरे संगठनों की मदद से जम्मू-कश्मीर के किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए विभिन्न योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में एफपीओ की संख्या पहले बहुत कम थी, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, युवाओं को एफपीओ के सदस्य बनाया जाएगा जिससे उनको रोजगार के अवसर मिलेंगे।
जम्मू-कश्मीर में बागवानी लोगों की आय का मुख्य जरिया है और लाखों परिवार इस क्षेत्र से जुड़े हैं। प्रदेश में सेब, खुबानी, चेरी, नासपाती, पपीता, अमरूद, आम के अलावा बादाम और अखरोट की खेती बहुतायत में होती है। जम्मू-कश्मीर का केसर दुनियाभर में चर्चित है।
कश्मीर में कृषि विभाग के निदेशक अल्ताफ एजाज अंद्राबी ने पिछले दिनों आईएएनएस से बातचीत में कहा, “भारत में केसर की खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर में होती है, जिसको लेकर प्रदेश की दुनिया में खास पहचान है। कश्मीरी केसर के मुरीद पूरी दुनिया में हैं।”
उन्होंने बताया कि एकीकृत खेती के जरिए पैदावार बढ़ाने की कोशिशों से हाल के वर्षो में केसर की पैदावार दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 4.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है और आने वाले दिनों इसकी पैदावार बढ़कर आठ-नौ किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।