जम्मू कश्मीर में भाजपा के सरकार बनाने की कोशिशों के बीच भाजपा को रोकने के लिए पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। तीनों पार्टियों के सूत्रों ने मंगलवार को इस तरफ इशारा किया।
16 जून को पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने के बाद से राज्य राज्यपाल शासन लागू है। 19 दिसंबर को 6 महीने पुरे होने के बाद इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। राज्यपाल शासन की अवधी समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति शासन लग सकता है।
राजनीतिक हलकों चर्चा है कि भाजपा राज्य में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन का प्रयास कर रही है। हालांकि विधानसभा में सज्जाद की पार्टी के सिर्फ 2 विधायक हैं।
भाजपा के 25 विधायकों द्वारा समर्थन के बाद भी बहुमत के लिए आवश्यक 44 के आंकड़े तक पहुंचना मुमकिन नहीं है ऐसी स्थिति में असंतोष से जूझ रही पीडीपी में फुट पड़ सकती है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की रणनीति को मात देने के लिए पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं जिससे राज्य में नयी सरकार का गठन हो सके।
राजनितिक हलकों में जिस फॉर्मूले पर विचार की खबर है वो ये है कि पीडीपी और कांग्रेस साथ मिल कर सरकार बनाएंगे और नेशनल कॉन्फ्रेंस बाहर से समर्थन देगी।
पीडीपी और कांग्रेस 2002 और 2007 में भी गठबंधन कर चुके हैं इसलिए दोनों को साथ आने में कोई मुश्किल नहीं होगी। पीडीपी के पास 28 विधायक हैं जबकि नेशनल कॉन्फ्रंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। ये तीनो पार्टियां मिलकर आसानी से बहुमत हासिल कर लेंगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों के अनुसार पार्टी गठबंधन की सरकार बनाने को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है लेकिन अगर पीडीपी और कांग्रेस ऐसा कोई गठबंधन करते हैं तो पार्टी उसे बाहर से समर्थन दे सकती है।
अगर ऐसा कोई फार्मूला अमल में लाया जाता है तो महबूबा मुफ़्ती की जगह पर पीडीपी के किसी सीनियर नेता को सरकार का मुखिया बनाया जाएगा।
राज्य में कड़वी प्रतिद्वंदिता वाली पार्टियों पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का साथ आना राज्य के राजनितिक इतिहास में एक अलग घटना होगी। इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीडीपी को अपना समर्थन दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार बनाने को तरजीह दी थी।