संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की जारी 42 वें सत्र में भारत ने पाकिस्तान पर निरंतर अंतरराष्ट्रीय मंचो का इस्तेमाल कश्मीर मामले पर अपने झूठ का प्रचार करने का आरोप लगाया है। भारत ने कहा कि “जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का भारत का निर्णय पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में बाधा पंहुचा रहा है।”
पाकिस्तान पर पलटवार
यूएन में भारत की पहली सचिव कुमं मिनी देवी ने कहा कि “हम पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ मनगढ़ंत कहानी गढ़ने के लिए निरंतर इस मंच के दुरूपयोग की निंदा करते हैं। जम्मू कश्मीर पर हमारा निर्णय हमारे संप्रभु अधिकार के तहत है और यह भारत का आंतरिक मामला है।”
5 अगस्त को भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का ऐलान किया था। इसके बाद से पाकिस्तान कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने में जुटा है। राजनयिक ने गिलगिट बाल्टिस्तान और पाकिस्तानी नियंत्रित अन्य इलाको में गायब करने, हत्या, नागरिक अधिकारी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना और सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले को कुचलना सामान्य है।”
उन्होंने कहा कि “प्रतिहिंसा के बारे में बात से मैं आपको पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की तरफ की स्थिति पर अवगत करना चाहूंगी। जनता के हक़ की बात करने वाले मीडिया चैनल पर सख्त नियंत्रण और यह सुनिश्चित किया गया है कि जमीनी हकीकत कभी न दिखाई जा सके। गिलगिट की अवाम इस वर्ष कर बार राजनीतिक, संवैधानिक और नागरिक अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रही है लेकिन कभी उन्हें पाकिस्तानी मीडिया ने तवज्जो नहीं दी है।”
भारतीय राजनयिक ने महत्वपूर्ण कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को हिरासत में रखने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की थी क्योंकि वे पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर और अन्य सूबों के लिए आवाज़ उठा रहे थे। इसमें बाबा जन, हसनैन कार्मल, सफ़दर अली, सनाउल्लाह खान, इनायत करीम, डीजे मथल, इजलाल हुसैन, इरफ़ान करीम जैसे कुछ नाम है।
उन्होंने कहा कि “यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं कि पाकिस्तान ने साल 2017 में 10 अंतरराष्ट्रीय एनजीओ को मुल्क से बाहर का रास्ता दिखा दिया और साल 2018 में पीओके से 18 संघठनो को मुल्क छोड़ने का फरमान जारी किया ताकि उनके मानव अधिकारों के उल्लंघन का खुलासा न हो सके। हम पाकिस्तान से यही उम्मीद कर सकते थे।”