अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद पांच अगस्त से ही घाटी में इंटरनेट बंद है, जिसके चलते आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसा नहीं है कि पहले कश्मीर में इंटरनेट को बंद नहीं किया गया। मुठभेड़, विरोध प्रदर्शन और संभावित आंतकी हमलों के चलते ऐसा कई बार किया गया है, लेकिन वर्तमान में लगे प्रतिबंध से स्थानीय व्यापारियों को घाटी के बाहर व्यापार करने में दिक्कतें आ रही हैं।
इंटरनेट बंद रहने से आने वाली परेशानियों से बचने के लिए श्रीनगर स्थित एक ट्रैवल एजेंसी ने अपने कार्यालयों और कर्मचारियों को पिछले महीने जम्मू स्थानांतरित किया।
एजेंसी के मालिक ने कहा, “हमारे पास कोई रास्ता नहीं था। हमारा पूरा व्यापार ही इंटरनेट पर निर्भर करता है। कश्मीर से बाहर व्यापार संभालना नामुमकिन हो गया था।”
जम्मू-कश्मीर सूचना विभाग के मीडिया सेंटर से अपनी खबरें अपने कार्यालय भेज रहे कश्मीर के पत्रकार इंटरनेट ब्लैकआउट से निराश महसूस कर रहे हैं। सरकार द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध के संबध में उन्होंने याचिकाएं दाखिल की थी, लेकिन उनका भी कोई असर नहीं हुआ।
इंटरनेट बंद होने के 100 दिन पूरे होने पर पिछले हफ्ते पत्रकारों ने कश्मीर प्रेस क्लब पर विरोध प्रदर्शन किया था।
श्रीनगर के एक स्थानीय पत्रकार आकाश हसन ने कहा, “पत्रकार कश्मीर में असाधारण परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, इंटरनेट मिलना हमारा मूल अधिकार है।”
श्रीनगर में एक स्टॉक ब्रोकर और कर सलाहकार ने कामकाज चलाने के लिए पिछले दो महीनों से दिल्ली में एक कर्मचारी को तैनात किया है।
उसने कहा, “इससे अधिक खर्च बढ़ता है, लेकिन इसके सिवाए कोई उपाय भी नहीं है।”
फिलहाल इंटरनेट से प्रतिबंध हटने के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसलिए सुविधा को पुन: सुचारू करने की मांग तेज हो रही है।