गुरुवार को कैबिनेट मंत्रियों ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश 2019 को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यक जो कि आर्थिक रुप से कमजोर हैं उन्हें शिक्षा, रोजगार के क्षेत्र में अतिरिक्त 10 फीसद का आरक्षण देने की बात कही गई है।
जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम-2004 में एक अध्यादेश के माध्यम से राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले लोगों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वालों के साथ लाया जाएगा। इससे पहले, जम्मू और कश्मीर में एलओसी के 6 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले युवाओं के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान उपलब्ध था।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह बात स्पष्ट की है कि, यह अध्यादेश राज्य के लोगों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करेगा या इसका अनुच्छेद 35ए पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो कि जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है।
इस अध्यादेश की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की। उन्होंने कहा कि,”जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश 2019 को मंजूरी दी गई है। इसके तहत जो लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहते हैं, उन्हें भी आगे से आरक्षण का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि 2004 से अब तक केवल नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिलता था।” प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई है। ज्ञात हो कि इस संशोधन को लाने के लिए संविधान की धारा 370 में बदलाव किए गए हैं।