कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि ‘हर कोई इस फैसले का इंतजार कर रहा था।’ आजाद ने यहां मीडिया से कहा, “जम्मू-कश्मीर में हर कोई इस फैसले का इंतजार कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि वे पांच अगस्त, 2019 से पारित सभी आदेशों को प्रकाशित करें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर कोई भी आदेश न्यायिक समीक्षा के तहत आता है।”
आजाद ने यह भी कहा कि “सरकार ने शुरू में यह साबित करने की कोशिश की थी कि इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाना जम्मू-कश्मीर के लोगों के फायदे के लिए है, लेकिन वास्तव में यह उन्हें, उनके इतिहास, उनके भूगोल और उनकी संस्कृति को खत्म करने के लिए था।”
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर अपनी सभी पाबंदियों की समीक्षा करने और उन्हें अदालत के समक्ष उठाने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
अदालत ने इंटरनेट पर प्रतिबंध को संविधान के खिलाफ भी कहा। न्यायमूर्ति एन. वी. रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “अदालत राजनीतिक औचित्यतता (जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों के संबंध में) में नहीं जाएगी।”
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इंटरनेट के इस्तेमाल को उपकरण के रूप में संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, जो बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में है और लोगों को अपने संबंधित पेशे के साथ बढ़ने में सक्षम बनाता है।
सीआरपीसी की धारा 144 पर, शीर्ष अदालत ने कहा कि इसका उपयोग स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है, और इस धारा का उपयोग केवल वहीं किया जा सकता है, जहां हिंसा भड़कने और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा होने की आशंका हो।