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    दिवंगत पत्रकार जमाल खशोगी

    तुर्की के इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के दूतावास से पत्रकार जमाल खासोगी 2 अक्टूबर को लापता हुए थे। खबरों के मुताबिक सऊदी दूतावास में उनकी हत्या कर दी गयी थी। इस हत्या का सीधा आरोप सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान पर लगा। इस हत्या से अमेरिका और सऊदी अरब के मध्य रिश्तों में खटास बढ़ सकती है।

    सऊदी अरब के पूर्व अधिकारी ने प्रिंस तुर्की बिन फैसल अल सूद ने कहा कि हम अमेरिका के साथ रिश्तों की कद्र करते हैं, उम्मीद है कि हम इसे कायम रखेंगे और बदले में अमेरिका से भी दयालु भाव की अपेक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्रों के रिश्ते मुनाफे से कोसों दूर हैं।

    प्रिंस तुर्की बिन के साथ पत्रकार जमाल सलाहकार के रूप में कार्यरत थे। साथ ही वह अमेरिका में राजदूत के तौर भी नियुक्त किये गए थे। जमाल खासोगी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान का मुखर आलोचक था। पत्रकार अमेरिका के वांशिगटन पोस्ट में अरब सम्बंधित ब्लॉग लिखता था।

    अमेरिका के कई कानून निर्माताओं ने आरोप लगाया कि सऊदी के प्रिंस के इशारे पर ही पत्रकार को मारा गया है। हालांकि रियाद इन आरोपों को नकारता रहा है। अमेरिका ने इस हत्या के 18 संदिग्ध आरोपियों के अमेरिकी वीजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

    तुर्की ने बयान दिया कि अमेरिका और सऊदी के बीच रिश्ते पिछले 70 वर्षों से विवादित रहे हैं और अब फिर से दोनों राष्ट्रों के रिश्ते एक नए तनाव से गुज़र रहे हैं। तुर्की ने कहा कि रियाद ने आरोपियों को सज़ा दिलाने और पत्रकार को न्याय दिलाने कि प्रतिबद्धता दिखाई थी।

    ट्रम्प प्रशासन रियाद से पत्रकार की मौत का दायित्व लेने की मांग कर रहा है। तुर्की ने कहा कि अमेरिका और सऊदी के रिश्ते विफल साबित हुए हैं। पत्रकार की हत्या के बाद अमेरिका ने सऊदी अरब में आयोजित निवेश सम्मेलन में शरीक    होने से इनकार कर दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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