जमाल खशोगी की हत्या के बाद वैश्विक ताकतों को सऊदी अरब में अगली जी-20 बैठक के आयोजन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। यूएन के एक विशेषज्ञ ने जमाल खशोगी की हत्या का आरोप सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस पर लगाया है। बीते हफ्ते यूएन की विशेष सदस्य अगनेस कार्लमार्ड ने जमाल खशोगी की हत्या पर एक रिपोर्ट तैयार की थी और इस रिपोर्ट में खशोगी की हत्या का जिम्मेदार ठहराया गया था।
सऊदी अरब के नागरिक जमाल खशोगी अमेरिका के द वांशिगटन पोस्ट में लेख लिखते थे। साल 2020 में जी-20 सम्मलेन का आयोजन सऊदी अरब में आयोजित होगा। कार्लमार्ड ने ही संयुक्त राष्ट्र में रिपोर्ट को पेश किया था। कार्लमार्ड ने कहा कि “यह बेहद अजीब है कि जिस राज्य ने खशोगी की हत्या की है उसने दूतावास में प्रवेश करने ही हत्या की और शव को गायब कर दिया।”
उन्होंने कहा कि “पश्चिमी सरकारों ने प्रतिबंधों से निशाना साधना अपनाया हुआ है वह ऐसी निर्दयी थ्योरी को बेचने में काफी अच्छे हैं। उन्होंने सऊदी की निगरानी तकनीक पर पाबन्दी की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदर्शित किया है कि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।”
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यक्तियों पर प्रतिबन्ध थोपे थे लेकिन सऊदी अरब के साथ गर्मजोशी के संबंधों को कायम अख है क्योंकि वह अमेरिकी हथियारों को खरीद रहे हैं और ईरान के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। बीते शनिवार को ओसाका में जी-20 के सम्मलेन में मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि 33 वर्षीय नेता बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।
कार्लमार्ड ने कहा कि वांशिगटन की यात्रा के दौरान उन्होंने अभी तक वार्ता नहीं की है। सीएनएन में प्रकाशित हुआ कि इस तफ्तीश के मुताबिक, सऊदी अरब के पत्रकार खशोगी की जानबूझकर, सोची-समझी हत्या थी।
विशेष रिपोर्ट के मुताबिक, दूतावास में प्रवेश के बाद खशोगी को एक बेहोशी का इंजेक्शन लगाया गया था और उसके बाद उनका प्लास्टिक बैग में सिर डाला गया और उनका दम घुट गया था।