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    जन्म लिंगानुपात

    नीति आयोग ने लिंगानुपात को लेकर रिपोर्ट जारी की है जिसमें चौंकाने वाले तथ्य हासिल हुए है। देश के 21 बड़े राज्यों में से 17 राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है। गुजरात में सबसे अधिक 53 अंकों की चिंताजनक गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए भ्रूण का लिंग परीक्षण कराकर होने वाले गर्भपात के मामले में जांच की जरूरत पर जोर दिया गया है।

    17 राज्यों में लिंगानुपात में 10 से अधिक अंकों की गिरावट में गुजरात राज्य सबसे ऊपर है। गुजरात में पहले 1000 पुरूषों पर 907 महिलाएं थी जिनकी संख्या अब गिरकर 854 हो गई है। साल 2012 से 2015 के बीच 53 प्वाइंट्स की गिरावट दर्ज हुई है।

    गुजरात के बाद हरियाणा में 35 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत की रिपोर्ट में राजस्थान (32 अंक), उत्तराखंड (27 अंक), महाराष्ट्र (18 अंक), हिमाचल प्रदेश (14 अंक), छत्तीसगढ़ (12 अंक की गिरावट) और कर्नाटक (11 अंक) की गिरावट देखी गई है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि प्री कंसेप्शन एंड प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 को शीघ्रता से लागू किया जाए।

    साथ ही लड़कियों के महत्व के बारे में प्रचार करने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत है। महिलाओं की संख्या कम होना चिंता का विषय है। इसके लिए केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार को भी ठोस कदम उठाने होंगे।

    वहीं उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जन्म के समय में लिंगानुपात में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 19 अंकों का उछाल देखा गया है।

    इसके बाद उत्तर प्रदेश (10 अंक) और बिहार (9 अंक) के साथ वृद्धि देखी गई। जन्म के समय लिंग अनुपात एक महत्वपूर्ण संकेत है और यह दर्शाता है कि लिंग-चयनात्मक गर्भपात से पैदा हुई लड़कियों की संख्या में कितनी कमी है।