Sat. Nov 23rd, 2024
    ई-वे बिल

    राजस्व संग्रह में आई गिरावट तथा कर चोरी को रोकने के लिए जीएसटी काउंसिल ई—वे बिल को जनवरी से लागू करने के लिए शनिवार को एक बैठक का आयोजन करेगी। हांलाकि सरकार के इस कदम से कारोबारी नाखुश हो सकते हैं, क्योंकि ई-वे बिल की अनुपालन शर्तों की कठोरता के चलते ई-वे बिल टालने की मांग की थी। कारोबारियों का कहना है कि ई-वे बिल में 50,000 रुपए की लिमिट रखने से इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा।

    आपको जानकारी के लिए बता दें कि वित्त मंत्री अरूण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी काउंसिल जनवरी महीने से ही ई-वे बिल के ​क्रियान्वयन पर विचार करेगी। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार राजस्व में कमी तथा कर चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल को जितना जल्द हो सके लागू करना चाहती है।

    आप को बता दें कि जुलाई महीने में जीएसटी के लागू होने के बाद अक्टूबर महीने में राजस्व संग्रह अपने निचले स्तर पर देखा गया। दरअसल अक्टूबर महीने में जीएसटी से प्राप्त राजस्व अपने चार महीनों के सबसे निम्न स्तर 83,000 करोड़ रूपए दर्ज की गई।

    राजस्व संग्रह में आई कमी के लिए सरकार ने जीएसटी के जिन प्रमुख कारणों को शामिल किया उनमें रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म टाले जाने से लेकर रिटर्न मिलान तथा मुख्य ई-वे बिल को दोषी माना। अब ई-वे बिल के जरिए अंतरराज्यीय मालों की आवाजाही पर केंद्र तथा राज्य की कर एजेंसियां नजर रखेंगी।

    जीएसटी संग्रह में रिसाव बर्दाश्त नहीं

    चालू वित्तीय ​वर्ष में राजस्व लक्ष्य हासिल करने के लिए मात्र तीन महीने शेष बचे हैं, ऐसे में सरकार यह कतई नहीं चाहती है कि जीएसटी संग्रह में किसी प्रकार का रिसाव देखने को मिले। सूचना के अनुसार तमाम डीलर जमकर जीएसटी चोरी में लगे हुए हैं। ऐसे में सरकार ई-वे बिल को प्रावधानों को सख्त करने पर तुली हुई है। कर्नाटक सहित अन्य पांच राज्य ई-वे बिल के क्रियान्वयन के लिए तैयार हैं।

     ई-वे बिल के प्रावधान

    • यदि राज्य के भीतर माल का परिवहन मात्र 10 किमी के एरिए में किया जा रहा है, तो व्यवसायी को ई-वे बिल का ए पार्ट जारी कर सामान की पूरी जानकारी देनी होगी। जबकि इससे ज्यादा की दूरी होने पर ई-वे बिल पार्ट ए तथा बी दोनों की जानकारी देनी होगी।
    • जीएसटी पोर्टल से जारी ई-वे बिल की वैधता दूरी के हिसाब से तय की जाएगी। बतौर उदाहरण 100 किमी. तक माल परिवहन के लिए केवल एक दिन का समय दिया जाएगा। आप को बता दें कि माल परिवहन के हर 100 किमी. पर एक-एक दिन बढ़ता जाएगा।