प्रसिद्ध अभिनेता जावेद जाफरी, जो अनुभवी अभिनेता जगदीप के पुत्र हैं, शनिवार रात अपने पिता के लिए ‘सिंटा हॉल ऑफ फेम’ पुरस्कार प्राप्त करते समय भावुक हो गए। जावेद अपने भाई नावेद के साथ एक्ट फेस्ट में अपने पिता की ओर से पुरस्कार लेने पहुंचे थे।
जावेद ने कहा-“हम दोनों के लिए मंच पर होना बहुत ही खास लम्हा है क्योंकि हम यहाँ अपने पिता की और से सम्मान लेने आये हैं जिन्होंने हमें अभिनय सिखाया। मेरे पिता केवल 9 साल के थे जब उन्होंने ‘अफसाना’ में बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की थी। बटवारे के बाद, वे अपनी माँ के साथ भारत आये क्योंकि उन्होंने भारत को अपने देश के रूप में चुना।”
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उन्होंने आगे कहा-“हमारे हाथो में कुछ नहीं था और मेरे पिता सड़क पर रहते थे। उन्होंने अभिनय को करियर के रूप में तब चुना जब बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें एक फिल्म के लिए लिया और मेरे पिता ने केवल पैसों के लिए अभिनय किया।”
जगदीप ने 1951 में फिल्म ‘अफसाना’ से शुरुआत की और आइकोनिक फिल्म ‘शोले’ में सूरमा भोपाली का किरदार निभाने के लिए मशहूर हो गए। उन्होंने गुरु दत्त की ‘आर पार’, बिमल रॉय की ‘दो बीघा ज़मीन’, ‘शहंशाह’, ‘अंदाज़ अपना अपना’, ‘कहीं प्यार ना हो जाए’ समेत और भी हिट फिल्मो में काम किया।
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जावेद ने भावुक होते हुए कहा-“पिछले 70 सालो से, मेरे पिता ने कई फिल्मो में काम किया। उन्हें किसी भी प्लेटफार्म पर कोई पुरुस्कार नहीं मिला मगर ये पुरुस्कार-‘सिंटा हॉल ऑफ़ फेम’ मेरे पिता के योगदान को सम्मान दे रहा है। ये इतना खास है कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।”
इसके बाद, उनके भाई नावेद ने कहा-“मैं भारत आने के लिए अपनी दादी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा अन्यथा हमें भारतीय सिनेमा में वह ‘सम्मानित अभिनेता’ नहीं मिल सकता था।”
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