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    हवाई यात्रा को सस्ती बनाने और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से इसके द्वारा नियंत्रित छोटे विमानों के लिए हवाईअड्डों पर लैंडिंग शुल्क माफ करने का आग्रह किया है। सिविल एन्क्लेव में लैंडिंग शुल्क माफी और सशस्त्र बलों से संबंधित ऐसे हवाईअड्डे, जिनका उपयोग वाणिज्यिक उड़ानों के लिए भी किया जाता है, उससे एयरलाइंस को लागत बचाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही टिकट की कीमतें कम होने से यात्रियों को लाभ मिलेगा।

    गोवा, पुणे, पोर्ट ब्लेयर, श्रीनगर और बागडोगरा जैसे 23 से अधिक सिविल एन्क्लेव हैं, जहां घरेलू विमान सेवाएं संचालित होती हैं।

    नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, “रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि 80 से कम सीटों की अधिकतम क्षमता वाले विमानों को लैंडिंग शुल्क से छूट देने पर विचार किया जाए।”

    रक्षा मंत्रालय के पदाधिकारी विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा जारी एरोनॉटिकल इंफॉर्मेशन सर्कुलर (एआईसी) के अनुसार, सिविल एन्क्लेव से लैंडिंग चार्ज प्राप्त करते हैं।

    एक निजी एयरलाइन के अधिकारी ने कहा कि कई कैरियर्स ने एटीआर और बॉम्बार्डियर 400 जैसे छोटे विमानों को विभिन्न टियर-2 शहरों में नई उड़ानें शुरू करने के लिए शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इन विमानों को विभिन्न पीपीपी हवाईअड्डों पर लैंडिंग शुल्क से मुक्त रखा गया है। वहीं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व वाले सिविल एन्क्लेव में इन्हें लैंडिंग शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है।

    उन्होंने कहा, “अगर छोटे विमानों को सिविल एन्क्लेव में लैंडिंग और पार्किं ग शुल्क का भुगतान करने से मुक्त रखा जाता है, तो निश्चित रूप से इन हवाईअड्डों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा। हवाईअड्डे पर कुछ सकारात्मक प्रभाव भी निश्चित रूप से आएगा।”

    अग्रणी एयरलाइंस इंडिगो और स्पाइसजेट ने अपने बेड़े में छोटे विमान शामिल करके अपने नेटवर्क में छोटे शहरों और कस्बों को जोड़ा है। एयर इंडिया की क्षेत्रीय शाखा एलायंस एयर भी एटीआर के अपने बेड़े का उपयोग करके अपने नेटवर्क में और अधिक शहरों को जोड़ रही है।

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