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    केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई पुलिस द्वारा गैंगस्टर छोटा राजन के खिलाफ दर्ज अन्य चार मामलों की जांच शुरू की है, जिनमें 1995 से 1998 के बीच दर्ज मामले शामिल हैं। सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लिया और इन मामलों में मंगलवार को अलग-अलग एफआईआर दर्ज की, जो 1995, 1996, 1997 और 1998 में अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे।

    पिछले साल अक्टूबर में, सीबीआई ने राजन के खिलाफ पांच मामलों की जांच भी शुरू की थी, जिसमें उसके शुरुआती दिनों से संबंधित मामले भी शामिल थे, जब वह तीन दशक पहले अपने संरक्षक राजन नायर उर्फ बड़ा राजन के साथ कथित रूप से काम करता था। उन मामलों को मुंबई पुलिस ने 1980, 1990 और 2000 के दशक में दर्ज किया था।

    चार नई प्राथमिकियों (एफआईआर) के साथ, राजन सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन के खिलाफ एजेंसी के पास मामलों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।

    छोटा राजन के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज सभी मामलों को उसकी गिरफ्तारी के बाद नवंबर 2015 में कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश के बाद सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था।

    पहला मामला 28 जुलाई, 1995 को एल.टी. मार्ग पुलिस स्टेशन में एक व्यवसायी देवांग बिपिन पारिख द्वारा दर्ज कराया गया था। पारिख ने सुरेश (पूरा नाम ज्ञात नहीं), गुरु साटम और छोटा राजन पर आरोप लगाया था कि इन लोगों ने 20 लाख रुपये की उगाही करने के लिए उसे फोन किया और धमकी दी कि रकम नहीं दोने पर उसे और उसके पिता को मार दिया जाएगा।

    सात जून, 1996 को खार पुलिस स्टेशन में एक अन्य मामला एक बिल्डर शब्बीर एन. पटेल द्वारा दर्ज कराया गया था। पटेल ने एक भाउ और छोटा राजन व अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाया था कि उन्हें और उनके बेटे को जान से मारने की धमकी दी गई।

    तीसरा मामला मुंबई पुलिस ने 12 जून, 1997 को एंटॉप हिल पुलिस स्टेशन में बलजीत शेरसिंह परमार की शिकायत पर दर्ज किया था। अपनी शिकायत में, परमार ने आरोप लगाया कि दो अज्ञात बाइक सवार हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। मुंबई सीआईडी को मामला सौंप दिया गया और उसने जांच पूरी होने के बाद आरोपपत्र में छोटा राजन और रोहित वर्मा को नामजद किया।

    छह नवंबर, 1998 को एल.टी. मार्ग पुलिस स्टेशन में में एक व्यापारी घिसूला जैन द्वारा हेमंत कृष्ण वर्थडकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया। शिकायत में कहा गया कि 10 जून, 1998 और छह नवंबर, 1998 के बीच उनके दुकान और आवास पर फोन करके 25 लाख रुपये की जबरन वसूली की मांग की गई। केस डायरी के अनुसार, जांच पूरी होने के बाद, मुंबई पुलिस ने अभियुक्तों वर्थडकर, सुरेश बाबूराव कुरहे, संतराम गोविंद ठाकुर खिलाफ आरोपपत्र दायर किया और दो अन्य आरोपियो छोटा राजन और मनोज कोटियान को वांछित दिखाया।

    इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस के बाद और इंडोनेशिया से छोटा राजन के निर्वासन और 25 अक्टूबर, 2015 को राजन की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, महाराष्ट्र सरकार ने 71 मामलों को सीबीआई को सौंप दिया था। छोटा राजन फिलहाल तिहाड़ जेल की बेहद सुरक्षा वाले जेल नंबर 2 में बंद है।

    वह डी-कंपनी का पूर्व सदस्य है, जो 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद दाऊद इब्राहिम से अलग हो गया था।

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