छत्तीसगढ़ में आज दुसरे चरण में 72 सीटों पर मतदान हो रहा है। ये 72 सीट होनी चौथी पारी के लिए मैदान में डटे मुख्यमंत्री रमन सिंह के किस्मत का फैसला करेंगे। लेकिन ये 72 सीट राज्य के मुख्यमंत्री के अलावा एक और चीज तय करेंगे और वो है दलितों की सबसे बड़ी नेता होने का दावा करने वाली मायावती के 2019 के रणनीति का।
सितम्बर में बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को ठेंगा दिखा कर कांग्रेस से अलग हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की नई पार्टी जनता कॉंग्रेस केई साथ गठबंधन करने का फैसला किया और अजीत जोगी को गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित कर दिया।
हालांकि अजीत जोगी की पार्टी के एक नेता इस गठबंधन पर सशंकित भी है। उनका मानना है कि अगर त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आई तो किंगमेकर बनने के बजाये कांग्रेस कर्नाटक की तरह किंग भी बना सकती है। उन्होंने इशारा किया कि ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कांग्रेस और जोगी को अलग हुए।
कर्नाटक ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी फायदे में रही। राज्य में पार्टी के एकलौते विधायक को मंत्री पद मिला गया। ये पहली बार है कि एक क्षेत्रीय पार्टी बसपा को अपने क्षेत्र से बाहर मंत्री पद मिला हो।
जबकि जोगी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश में हैं। जिन 55 सीटों पर जोगी की पार्टी चुनाव लड़ रही है उन सीटों पर 2008 और 2013 में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था।
मायावती को भरोसा है कि परिणाम घोषित होने के बाद राज्य के हालात कर्नाटक जैसे भी बन सकते हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ में पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर 1 फीसदी से भी कम था।
अकेले लड़ कर भी मायावती ने 2013 में 4.4 फीसदी वोट हासिल किये थे तो इस बार जोगी के साथ मिलकर वोट प्रतिशत और सीटों में उछाल आना स्वाभाविक है।
अगर मायावती और जोगी का गठबंधन छत्तीसगढ़ में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहा तो मायवती 2019 के लिए उत्तर प्रदेश में सौदेबाजी में अपने लिए बड़ा हिस्सा मांग सकती है।
मायावती की कोशिश उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को काम सीटें देने पर रहेगी। उत्तर प्रदेश में माया आती और समाजवादी पार्टी की बात भी हो रही है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मायावती को सम्मानजनक सीटन देने से इंकार कर दिया तो मायावती अकेले ही उतर गईं अपना गठबंधन बना के। मायावती कांग्रेस से उत्तर प्रदेश में बदला जरूर लेंगी और वैसे भी मायावती खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानती है और वो ये अच्छे से जानती है कि काम सीटों के साथ वो प्रधानमंत्री नहीं बन सकती।
मायावती उत्तर प्रदेश के बाहर अपने पाँव फैलाने की कोशिश लम्बे समय से कर रही है। कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा में भी इंडियन नेशनल लोक दल के साथ गठबंधन की बातें कर रही है।
तो छत्तीसगढ़ चुनाव मायावती की रणनीति की लिहाज से बहुत अहम् है।