मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री की घोषणा करने के बाद उम्मीद है शनिवार को कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ के लिए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दे।
15 सालों बाद छत्तीसगढ़ की सत्ता में आने के बाद भूपेश बधेल, टीएस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू और चरण दास महंथ में मुख्यमंत्री पद की कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री पद के लिए एक से अधिक दावेदार होने के कारण कांग्रेस को मुख्यमंत्री चुनने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ छत्तीसगढ़ के चारो नेता बघेल, देव, साहू और महंत की कई दौर की मीटिंग हो चुकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार बघेल इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।
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छतीसगढ़ के लिए पार्टी के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडके और छत्तीसगढ़ में पार्टी मामलों के पदाधिकारी पी एल पुनिया भी राहुल गाँधी के साथ बघेल और देव की मीटिंग में शामिल थे।
राज्य में पार्टी ने भाजपा के 15 सालों के शासन का अंत करते हुए 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटें जीती थी। पिछले 5 वर्षों से बघेल राज्य ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हैं और रमन सिंह के शासन को उखाड़ फेंके में मुख्य चेहरे वही थे जिस वजह से मुख्यमंत्री की रेस में उनका नाम सबसे आगे चल रहा है।
2013 में माओवादी हमले में कांग्रेस के पुरे राज्य नेतृत्व का सफाया हो जाने के बाद और फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी की लगातार तीसरी हर के बाद कांग्रेस पस्त हो चुकी थी। उसके पास कोई ऐसा नेता नहीं था जो उनमे फिर से उठ खड़े होने का जज्बा जगा सके ऐसे में भूपेश बधेल को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई।
आपसी गुटबाजी से त्रस्त पार्टी को फिर से खड़ा कर 5 सालों में मुख्यमंत्री रमन सिंह को टक्कर देने लायक बनाने में भूपेश बघेल ने अहम् भूमिका निभाई थी जिसके फलस्वरूप कांग्रेस ने भाजपा के 15 सालों के शासन को उखाड़ फेंके में सफलता हासिल की।