कांग्रेस से बागी होकर नई पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी को मायावती से गठबंधन करने के बावजूद राज्य में सिर्फ 5 सीटें नसीब हुई। अब राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें एक और झटका दिया है।
सूत्रों ने कहा कि जोगी के दो पूर्व सहयोगियों – कावासी लखमा और गुरु रुद्र कुमार को मंत्रिबंडल में शामिल कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोगी को ऐसा झटका दिया है कि उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाएगा और वो 2019 में कांग्रेस में सेंध नहीं लगा पायेंगे।
लखमा कोंटा सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं और वो बस्तर क्षेत्र के बड़े आदिवासी नेता है। 2013 में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हुए नक्सल हमले में बचने वाले कुछ लोगों में से एक।
कांग्रेस का विश्वास पाने के लिए लखमा ने जोगी के खिलाफ न सिर्फ विधानसभा चुनाव लड़ा बल्कि उनपर सबसे पुरानी पार्टी को धोखा देने का आरोप भी लगाया था।
रूद्र कुमार को भी मंत्री पद मिलना जोगी के लिए एक और झटका है। रूद्र को चुनाव के दौरान भाजपा समर्थक टिपण्णी के लिए मायावती की फटकार झेलनी पड़ी थी।
कुमार छत्तीसगढ़ के चार सतनामी संप्रदायों में से एक हैं और पिछले दिनों जोगी के साथ बहुत ही करीब रहते हुए काम किया था। जोगी इस संप्रदाय में एक बड़े पैमाने पर बोलबाला रखते थे और 2000 में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका दबदबा बढ़ा था।
एक और सतनामी संप्रदाय के प्रभावशाली मुखिया – गुरु बाल दास – भी अपने समर्थकों के साथ चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। संप्रदाय का कम से कम दस सीटों पर सीधा प्रभाव है और कई अन्य सीटों पर आंशिक प्रभाव है और विजेता और हारने वाले के बीच अंतर पर उनका गहरा असर है।
लखमा और कुमार मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए गए नौ विधायकों में से थे। छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में कुल 12 सदस्य हैं।