छत्तीसगढ़ में गरीब और गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की चल रही मुहिम देश के अन्य हिस्सों में चर्चा का विषय बनी हुई है। दीगर राज्यों के अधिकारी व किसान यहां का भ्रमण करने आ रहे हैं। इतना ही नहीं वे यहां से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अपनाए गए मॉडल को अपने यहां भी अमल में लाना चाह रहे हैं।
राज्य में चल रहे प्रयासों को जानने और समझने तमिलनाडु के किसानों का दल यहां आया। इस दल के किसानों ने गांव में पहुंचकर गोठान को देखा, धान खरीदी की प्रक्रिया को जाना और स्वरोजगार उपलब्ध कराने के प्रयासों को भी समझा।
तमिलनाडु से आए किसानों के दल में विमलनाथन (कावेरी किसान संघ के सचिव), चेयरन, खलियापेरमाल, स्वामीनाथन, सरगोपन, आऱ एस़ बालाजी और विश्वनाथन शामिल रहे, जिन्होंने यहां कई गांवों का दौरा किया।
दल के सदस्यों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया, “रायपुर जिले के सारागांव धान खरीदी केन्द्र का भ्रमण किया। जहां किसानों से भी बातचीत की। यहां धान खरीदी की पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरीकृत है। किसानों को तत्काल ऑनलाइन भुगतान किया जाता है। इसके अलावा पूरी व्यवस्था पारदर्शी है।
जबकि तमिलनाडु में तीन से 15 दिन का समय लग जाता है। इसके अतिरिक्त वहां दलालों से भी किसानों को दिक्कत होती है। धान खरीदी केन्द्र में भ्रमण के दौरान पता चला कि धान की अच्छी कीमत मिलने के बाद बड़ी संख्या में यहां किसान धान बेचने आते हैं, जबकि तमिलनाडु में कई बार किसानों को व्यापारियों को धान बेचना पड़ जाता है।”
तामिलनाडु के किसानों के दल ने कहा कि धान की कीमत 2500 रुपये कुंटल निर्धारित करने से किसानों को बड़ी राहत मिली है, वहीं सरकार ने अपने जनघोषणा पत्र के वादे को भी पूरा किया। इससे लोगों में संतोष का भाव है।
इतना ही नहीं धान से इथेनाल बनाने के लिए प्लांट लगने की चर्चा भी देश के अन्य हिस्सों में है। इन किसानों ने अपने राज्य तामिलनाडु की समस्याओं का जिक्र किया।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम की चर्चा कई हिस्सों में है। गांव-गांव में गोठान बनाए जा रहे हैं। इन गोठान में जहां निराश्रित जानवरों को आश्रय मिल रहा है, वहीं फसलों को होने वाले नुकसान पर रोक लगी है। इतना ही नहीं इन गोठान में महिलाओं को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। इसके अलावा जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
तामिलनाडु के इस दल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सोमवार को मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने किसानों को बताया, “राज्य में धान से इथेनाल बनाने का प्लांट लगाने जा रहे हैं। इसके लिए टेंडर भी किया जा चुका है। दो किलो धान से एक लीटर इथेनाल बनेगा। इससे किसानों को धान की अच्छी कीमत मिलेगी, वहीं विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। इथेनाल बनाने से धान के संग्रहण के लिए गोदाम की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।”
राज्य में सत्ता बदलाव के बाद ग्रामीण विकास की कई योजनाओं को अमली जामा पहनाया गया है। किसानों का जहां दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ हुआ, वहीं छत्तीसगढ़ी उत्पाद को देश में और दुनिया के अन्य देशों में बाजार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। धान की 2500 रुपये प्रति कुंटल के हिसाब से खरीदी हो रही है। महिलाएं रोजगार पा रही हैं। यही कारण है कि कई राज्यों के प्रशासनिक अमले के अधिकारी यहां की योजनाओं को समझने आ चुके हैं। अब यहां की स्थिति को देखने-समझने किसान भी आ रहे हैं।