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    छत्तीसगढ़ सरकार ने पानी का कारोबार करने वाली कंपनियों के जरिए अपनी आमदनी बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाया है। यहां के पानी का उपयोग कर बड़ी कमाई करने वाली कंपनियों को अब एक हिस्सा सरकार को देना होगा। नई जल दरों के लागू होने से सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी।

    कई बड़ी कंपनियां राज्य में बोतल बंद पानी, कोल्ड ड्रिंग्स, बीयर एवं मदिरा को तैयार करने के लिए पानी का उपयोग करती हैं, इससे वे कई गुना रकम भी कमाती हैं, मगर इसके एवज में अब तक जल दर मात्र केवल 0.44 पैसे (आधे पैसे से भी कम) अदा करते थे, सरकार द्वारा तय की गई नई जलदर के मुताबिक, अब एक लीटर पानी का उपयोग करने पर उन्हें साढ़े 37 पैसे अदा करने होंगे।

    राज्य की भूपेश बघेल सरकार द्वारा तय की गई नई जल दरों के अनुसार, जिन उद्यागों में भू-जल का उपयोग कच्चे माल के रूप में नहीं होता है, उन उद्योगों के लिए नैसर्गिक जलस्रोत की जल दर पहले से तीन गुना अधिक (15 रुपये प्रति घनमीटर) की गई है, जबकि कोल्ड ड्रिंक, मिनरल वटर, शराब आदि के लिए भू-जल का कच्चे माल के रूप में उपयोग कर रहे उद्योगों के लिए जल-दर लगभग 25 गुना अधिक (375 रुपये प्रति घनमीटर) निर्धारित की गई है। वहीं सतही जल का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए जल दरें यथावत रखी गई हैं।

    राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में सतही और भू-जल की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक संस्थानों में जल के अनावश्यक दोहन, दुरुपयोग और अपव्यय की रोकथाम के उद्देश्य से भू-जल संधारण के लिए नई जल दर लागू की गई है।

    जल संसाधन विभाग ने अधिकारिक तौर पर बताया है कि राज्य शासन की अधिसूचना 24 फरवरी 2016 के अनुसार कच्चे माल के रूप में भू-जल का उपयोग कर रहे उद्योगों के लिए प्रति लीटर जल-दर केवल 0.44 पैसे (आधे पैसे से भी कम लगभग नगण्य) थी, नवीन अधिसूचना द्वारा यह दर साढ़े 37 पैसे प्रति लीटर की गई है।

    राज्य सरकार ने गणना करने पर पाया है कि मिनरल वाटर उद्योग द्वारा एक घनमीटर अर्थात एक हजार लीटर भू-जल उपयोग हेतु 375 रुपये प्रति घनमीटर की दर से एक लीटर के लिए विभाग को केवल साढ़े 37 पैसे जल-कर दिया जाएगा, जबकि उद्योगों द्वारा एक लीटर मिनरल वाटर लगभग 15 से 20 रुपये में बेचा जाता है। कोल्ड ड्रिंक 50 रुपये, मदिरा बीयर 230 रुपये एवं 400 रुपये में बेची जाती है। जल के औद्योगिक उपयोग के एवज में वर्तमान में शासन को प्रतिवर्ष लगभग 700 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हो रही है। वर्तमान में दर के पुनरीक्षण से औद्योगिक जल कर राजस्व में लगभग 20 से 25 प्रतिशत की वृद्घि होगी। वहीं इन उद्योगों पर भी भार नहीं आएगा।

    देश में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ वे राज्य है जहां सतही और भूजल सीमित मात्रा में है, जबकि उद्योग बहुत ज्यादा है और पानी का उपयोग भी बहुत हो रहा है। इसे नियंत्रित करने और अपव्यय को रोकने के मकसद से महाराष्ट्र मे तीन साल पहले ही जल दर में इजाफा किया जा चुका है।

    राज्य सरकार का मानना है कि भू-जल का औद्योगिक प्रयोजन में बहुत ज्यादा और उचित अनुमति के बिना उपयोग हो रहा है। भू-जल का औद्योगिक प्रयोजन में उपयोग नगण्य या कम से कम हो, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा बार-बार निर्देश दिए जा रहे हैं।

    केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी के आदेशानुसार राज्य के भू-जल संबंधी क्रिटिकल, सेमी क्रिटीकल क्षेत्र तथा ब्लॉक में औद्योगिक प्रयोजन के लिए भू-जल दोहन की स्वीकृति नहीं देने के निर्देश दिए गए हैं।

    छत्तीसगढ़ राज्य के 12 जिलों के कुल 24 विकासखंड क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में आते हैं। राज्य के अन्य विकासखंडों को क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में आने से रोकने के लिए जल दर में इजाफा किया गया है, ताकि भू-जल के अनावश्यक दोहन, दुरुपयोग, अपव्यय को रोका जा सके।

    सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत ने आईएएनएस से कहा, “छत्तीसगढ़ सरकार का जल दर बढ़ाने का फैसला स्वागत योग्य है, क्योंकि बड़ी-बड़ी कंपनियां जमीन के पेट को खाली करने में लगी है, वहीं नदियों के पानी को जहरीला बना रही है। इस फैसले से जहां कंपनियां पानी का कम उपयोग करेंगी, वहीं राज्य को राजस्व की प्राप्ति भी होगी। छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले से मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों को भी सीख लेना चाहिए।”

    गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 24 फरवरी 2016 को जल दरें तय की थी, जिनमें अब बदलाव किया गया है। नई दरों से राज्य सरकार का राजस्व 200 करोड़ वार्षिक बढ़ने का अनुमान है।

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