छत्तीगसढ़ में कांग्रेस ने शहर सरकार अर्थात नगरीय निकायों में बड़ी सफलता हासिल कर ली है। राज्य में कुल 10 नगर निगमों में से आठ के महापौर पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने सभी जगह जीत हासिल की है। दो नगर निगमों के महापौर का चुनाव होना बाकी है। इसी तरह नगर पालिकाओं में भी कांग्रेस ने भाजपा से बढ़त बना ली है। कांग्रेस इस जीत से उत्साहित है, तो भाजपा चुनाव प्रक्रिया और प्रशासनिक तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है।
राज्य में इस बार महापौर और नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्षों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहे हैं। यानी पार्षदों को इनके चुनने का अधिकार है। जबकि आम मतदाता ने अपने वोट से पार्षद को चुना है। 151 नगरीय निकायों में 2840 पार्षदों के चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस ने 1283, भाजपा ने 1131 स्थानों पर जीत हासिल की थी, वहीं निर्दलीय 364 स्थानों पर जीते थे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पार्षद 36 स्थानों पर जीत सके थे।
राज्य में 10 नगर निगम हैं। इनमें से आठ स्थानों बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, चिरमिरी और रायगढ़ में महापौर पदों और सभापतियों के चुनाव हो चुके हैं। आठों महापौर के पदों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। अब सिर्फ दो नगर निगम कोरबा और अंबिकापुर में महापौर का चुनाव होना शेष है। इसी तरह अधिकांश नगर पालिका और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। कई स्थानों पर चुनाव की प्रक्रिया जारी है।
राज्य के पांच नगर निगमों के महापौर का सोमवार को चुनाव हुआ। इनमें से तीन नगर निगम में निर्दलीय पार्षदों की अहम भूमिका रही। रायपुर में कांग्रेस के 70 में से 34 पार्षद थे, वहीं सात निर्दलीय पार्षद निर्णायक थे। इन पार्षदों का समर्थन मिलने पर कांग्रेस के एजाज ढेबर ने महापौर पद पर कब्जा किया। इसी तरह दुर्ग और धमतरी में भी निर्दलीयों का समर्थन कांग्रेस को मिला।
पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल करते हुए डेढ़ दशक बाद सत्ता पर कब्जा किया था। मगर लोकसभा चुनाव में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। अब शहरी क्षेत्रों के चुनाव में कांग्रेस ने फिर बढ़त हासिल कर ली है।
नगर निगम महापौर और पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों पर मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “जिस दिन निकाय के परिणाम आए थे उसी दिन तय हो गया था कि महापौर कांग्रेस के बनेंगे। पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करके कराए गए चुनाव में भाजपा ने मैदान ही छोड़ दिया।”
वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका कहना है, “कांग्रेस ने निकाय चुनाव में न केवल प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग किया है, बल्कि अनैतिक तरीके से उगाही गई रकम का इस चुनाव में उपयोग किया। कांग्रेस के इन कारनामों को लेकर उनकी पार्टी जनता के बीच जाएगी।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने यह चुनाव योजनाबद्घ तरीके से लड़ा, साथ ही नए चेहरों पर दांव लगाया। इतना ही नहीं जिन स्थानों पर निर्दलीय निर्णायक थे, वहां उन्हें अपने साथ करने में कसर नहीं छोड़ी। उसी का नतीजा है कि निर्दलीय कांग्रेस के साथ आ गए और उसने महापौर पद पर कब्जा जमा लिया।