छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटों के लिए हुए चुनाव के बाद एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त के संकेत है। कांग्रेस और 15 सालों से सत्ता पर कब्जा जमाये भाजपा के बीच के मुकाबले को मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत जोगी के जनता कांग्रेस (जोगी) का गठबंधन त्रिकोणीय शक्ल दे रहा है।
एक तरफ जहाँ भाजपा अपनी चौथी पारी को सुरक्षित करना चाहती है वहीँ कांग्रेस 15 सालों के राजनितिक वनवास को समाप्त करने की कोशिश में हैं और बसपा-जनता कांग्रेस का गठबंधन इनके खेल को बिगाड़ने की ताक में।
आदिवासी और एससी सीट
2013 के विधानसभा चुनाव में उत्तर और दक्षिण में कांग्रेस को आदिवासी क्षेत्रों में बढ़िया सफलता मिली थी। पार्टी ने 29 में से 18 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था जो 2008 की तुलना में 8 सीट ज्यादा थी।
2008 में भाजपा ने एसटी सीटों पर अच्छी सफलता हासिल की थी। 2013 में कांग्रेस का इन सीटों पर सफल होना ये दिखाता है कि कांग्रेस ने इस इलाके में अपनी जमीन बना ली है।
एससी बहुत सीटों की बात करें तो भाजपा ने 2008 में 10 में से 5 सीटें जीती थी जबकि 2013 में 10 में से 9 सीटें अपने नाम की थी।
एग्जिट पोल के अनुसार इस बार एससी मतदाता भाजपा का साथ देते नहीं दिख रहे। मायावती और अजीत जोगी के गठबंधन ने एससी सीटों पर भाजपा को ही नुकसान पहुँचाया है।
वोट शेयर और जीत का अंतर
भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में बहुत ही मामूली अंतर रहता है जिसकी वजह से मुकाबला बेगड़ नजदीकी होता है। 2013 में भाजपा ने 41 फीसदी वोट हासिल किया था और कांग्रेस ने 40 फीसदी वहीँ 2008 में भाजपा ने 40 फीसदी वोट हासिल किये थे कांग्रेस ने 39 फीसदी।
2003 में भाजपा र कांग्रेस के बीच वोट शेयर का अंतर 2.5 फीसदी था जो 10 साल बाद 2013 में 0.7 फीसदी हो गया।
राज्य में भाजपा 15 सालो के सत्ता विरोधी लहर का सामना भी कर रही है। ऐसे में 1 फीसदी वोट का स्थानान्तरण भी उसे सत्ता से बाहर कर सकता है इस बार।
उम्मीदवारों के जीत का अंतर
परिणाम को प्रभावित करने वाले अन्य फैक्टर में उम्मीदवारों के जीत का अंतर भी एक मुख्य फैक्टर है। 2013 में करीब 31 सीटों पर जीत का अंतर 5 फीसदी से कम था जबकि अन्य 25 सीटों पर जीत का अंतर 5 से 10 फीसदी के बीच था।
अगर रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के क्षेत्र में ओबीसी वोट कांग्रेस के पाले में गए तो वो आसानी से सत्ता में आ जायेगी।
उम्मीद जताई जा रही थी कि मायावती और अजीत जोगी का गठबंधन कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों पर गौर करे तो ये गठबंधन भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचता दिख रहा है।
अब ये आंकड़े कितने सही है ये तो 11 दिसंबर को ही पता चलेगा।