गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और उसके साथ ही नई बीमारियों का आगमन भी। आज हम गर्मियों के मौसम में अधिकतर देखी जानेवाली बीमारी ‘चिकन पॉक्स’, जिसे आम भाषा में ‘चेचक’ कहा जाता है, के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगें।
चेचक क्या है:
चेचक को वैज्ञानिक भाषा में ‘वेरीसेल्ला’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का संक्रामक रोग है जो वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस के आक्रमण के कारण होता है। इस बीमारी में बहुत ही बेचैनी और प्रतिकूलता महसूस होती है लेकिन यह बीमारी 1 से 2 हफ्तों में ठीक हो जाती है।
इस बीमारी में सबसे पहले चेहरे, छाती और पेट पर चकते जैसे छाले, जो रंग में लाल होते है, पड़ जाते है जो आगे चलकर पूरे पर शरीर फ़ैल जाते है। यह कोई गंभीर रोग नहीं है लेकिन हाँ, यह कई अन्य रोगों का कारण अवश्य बन सकती है।
चेचक के टीके का अविष्कार एडवर्ड जेनर नें किया था।
चेचक के कारण/चेचक कैसे होता है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि चेचक, वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस की वजह से होता है। यह वायरस तब किसी स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित करते है जब वह व्यक्ति चेचक से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आते है। संक्रमण के द्वारा होनेवाली यह सबसे सामान्य बीमारी है जो अधिकतर देखी जाती है।
जिन्हें पहले कभी चेचक नहीं हुआ है और जिन्होंने कभी चेचक के लिए टीकाकरण नहीं कराया है उन्हें इस रोग का खतरा सबसे अधिक रहता है।
चेचक के लक्षण:
चेचक के लक्षण चकतों के आने के पहले से ही दिखने लगते है और चकतों के आने के बाद अलग लक्षण दिखने लगते है।
लाल चकतों के आने के पहले के लक्षण:-
- बेचैनी-सी होने लगती है
- बुखार जो वयस्कों में बच्चों की तुलना से अधिक ही देखा जाता है और बुखार की यह स्थिति वयस्कों में बहुत गंभीर पाई जाती है।
- मांसपेशियों में दर्द
- भूख का ना लगना
- बार-बार जी मिचलना अर्थात बार-बार उल्टी होने का एहसास होना
लाल चकतों के आने के बाद के लक्षण:
- लाल चकते:- जो बहुत कम से बहुत अधिक अर्थात पूरे शरीर में देखे जा सकते हैं।
- दाद :- जो एक समूह में चेहेरे, छाती और पेट पर देखे जाते हैं। ये आकर में छोटे, रंग में लाल और खुजली वाले होते है।
- छाले:- यह दाद के बाद उभरते है जो दाद की अपेक्षा अधिक खुजली देनेवाले होते है।
- छालों और दागों का धुंधला हो होना:- 48 घंटे के भीतर छाले धुंधुलें होने लगते है और वे सुखकर उनपर पपड़ी बनने लगती है।
- ठीक होने की प्रक्रिया:- 10 दिनों के भीतर पपड़ी बने चकते और छाले अपने आप ठीक होने या गिरने लगते है।
इस पूरी प्रक्रिया में कुछ नए चकतों का आना भी देखा जाता है। ऐसे मामलों में अलग ही दादो और चकतों का समूह मरीज में देखा जाता है जिनमें अलग-अलग चरणों में खुजली, सूखापन और पपड़ी के बनने की प्रक्रिया देखी जाती है।
कुछ अन्य लक्षण:
कुछ लोगों में कुछ गंभीर लक्षण भी देखे जाते है जैसे कि:-
- चकतों और छालों के आस-पास की त्वचा का लाल हो जाना और दर्द होने लगना
- साँस लेने में तकलीफ होना
ऐसी स्थिति में चिकिस्तक से अवश्य संपर्क करें।
चेचक कैसे फैलता है:-
आप सबका यह जानना बहुत जरुरी है कि चेचक, सर्दी और बुखार बिलकुल एक जैसे ही फैलते है। चेचक भी:-
- यदि आप किसी चेचक से पीड़ित व्यक्ति के चकतों और छालों को सीधे अपने हाथों से छूते है या
- यदि उन चकतों से वायरस हवा में मिल जाते है या
- आप उस संक्रमित व्यक्ति के आस-पास है
तो हवा में मिश्रित वायरस से आप भी संक्रमित हो सकते है या आपको भी चेचक होने की संभावना बढ़ जाती है।
लाल चकतों/छालों की विशेषता:-
लाल चकतों के उभरने के करीब दो दिन पहले वह व्यक्ति सबसे अधिक संक्रमित होता है अर्थात उस स्थिति में वह व्यक्ति कई अन्य स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है। उस स्थिति से शुरू होकर वह व्यक्ति तब तक अधिक संक्रमण का कारण बने रहता है जब तक उसके लाल चकते पपड़ी बनकर सूखने नहीं लगते।
जब एक बार पानी से भरे चकतों पर पपड़ी बनने लगती है तब वह व्यक्ति अधिक संक्रमित नहीं रह पाता लेकिन यदि उस व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर है तो वह पपड़ी बनने के बाद भी लंबे समय तक संक्रमित कर सकता है। कई मामलों में लाल चकते बिना कोई निशान छोड़े ही ठीक हो जाते है।
चेचक की पुनः स्थिति अर्थात शिंगल्स:-
यदि आप पहले भी चेचक से पीड़ित रह चुके है और भविष्य में फिर से चेचक से पीड़ित हो जाते है तो इस स्थिति को ‘शिंगल्स’ के नाम से जाना जाता है जिसकी वजह वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस ही होते है लेकिन तब जब वह पहले संक्रमण के बाद निष्क्रिय हो जाते है और बाद में भविष्य में फिर से सक्रीय होकर चेचक होने का कारण बनते हैं।
इस शिंगल्स से होनेवाली कुछ जटिलताएँ कुछ इस प्रकार है:-
- पॉसथेरपेटिक न्यूरेल्जिया, जो वह स्थिति है जिसमें लाल चकतों के ठीक होने के बाद भी दर्द बना रहता है।
- यदि शिंगल्स के कारण आँखों में संक्रमण हो जाता है तो आँखों की दृष्टि खो सकती है अर्थात अंधापन।
- यदि संक्रमण मस्तिष्क तक पहुँच जाता है तो तंत्रिका संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है ।
- यदि लाल चकतों का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया तो त्वचा का संक्रमण भी हो सकता है।
एक बात आप अवश्य ध्यान रखिए कि शिंगल्स किसी अन्य चेचक से पीड़ित व्यक्ति से नहीं फैलता है। परंतु यदि आप कभी भी चेचक से पीड़ित नहीं हुए है या आपने कभी चेचक का टीकाकरण नहीं कराया है तो आप किसी अन्य चेचक से पीड़ित व्यक्ति से शिंगल्स के शिकार या उससे संक्रमित हो सकते है लेकिन आप किसी अन्य शिंगल्स से पीड़ित व्यक्ति से चेचक के शिकार कभी नहीं हो सकते है।
चेचक के चरण:
चेचक कई चरणों में विकसित होता है जिसकी बात हम ऊपर कर चुके है अर्थात चेचक इन चरणों में विकसित होता है:-
- पहले दूसरे व्यक्ति से संक्रमण फैलता है।
- संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर पर लाल चकते उभरने लगते है।
- थोड़े दिनों बाद लाल चकते सूखने लगते है और उनपर पपड़ी बनने लगती है अर्थात ठीक होने की प्रक्रिया प्रारंभ होने लगती है।
- यदि आप फिर से चेचक से पीड़ित हुए है तो आप चेचक से नहीं बल्कि शिंगल्स से पीड़ित हुए होते है।
चेचक का निदान:
चेचक को पहचानने के लिए चिकिस्तक को किसी तरह की जाँच नहीं करनी होती है। रोगी के लक्षणों को देखकर ही चिकिस्तक आसानी से चेचक की पहचान कर लेते है। हालाँकि कभी-कभी चेचक के लक्षण किसी कीड़े के काटने के बाद बने निशान से या स्कैबीज़ से भी मिलते है जिस वजह से कभी-कभी भ्रांति भी हो जाती है।
चेचक का इलाज:
यह बीमारी एक या दो हफ्तों में अपने-आप ठीक हो जाती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन यदि टीकाकरण कराया गया है तो इससे बचा जा सकता है।
चिकिस्तक फिर भी कुछ दवाइयाँ निर्धारित करते है ताकि उन लाल चकतों की जलन और उनसे होनेवाली खुजली को कम किया जा सके और ताकि दूसरे व्यक्तियों को संक्रमण ना फैल सकें। चेचक के कुछ लक्षणों से राहत दिलाने के लिए चिकिस्तक नीचे दी गई कुछ दवाइयाँ निर्धारित करते है:
- दर्द और बुखार से राहत दिलाने के लिए:- इसके लिए चिकिस्तक टीलेनॉल (एसेटामिनोफेन) निर्धारित करते है। चेचक के लिए एस्पिरिन से युक्त पदार्थो या दवाइयों का उपयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा कई जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती है।
- निर्जलीकरण को दूर करने के लिए:- इसके लिए सबसे जरुरी है कि आप पेय पदार्थों, विशेषकर जल, का अधिक से अधिक प्रयोग करें। फिर भी चिकिस्तक चीनी मुक्त पॉप्सिकल्स या पेडीयालेट बच्चों के लिए निर्धारित करते है क्योकि वे अक्सर अधिक पानी नहीं पी पाते हैं।
- मुँह में दर्द से राहत दिलाने के लिए:- इसके लिए भी चिकिस्तक चीनी मुक्त पॉप्सिकल्स निर्धारित करते है यदि मुँह में लाल चकते या छाले पड़ गए है तो। यदि मुँह में भी छाले आ गए है तो आप तीखें और नमकीन खाद्यपदार्थों के सेवन से बचें। यदि चबाने में तकलीफ हो रही हो तो सूप बेहतरीन विकल्प है लेकिन ध्यान रहे कि वो ज्यादा गरम ना हों।
- खुजली से राहत दिलाने के लिए:- इसके लिए जरूरी है कि आप बार चकतों और छालों को खरोचना कम करें जिससे उनके दाग ना बने अन्यथा स्थिति बहुत गंभीर बन सकती है।
खुजली को रोकने के लिए आप कुछ ऐसे उपाय कर सकते है:
- अपने नाखूनों को साफ़ और जितना हों सकें छोटा रखें।
- बच्चों को सुलाते समय उनके हाथों में दस्ताने या मोज़े डाल दें जिससे यदि रात में खुजली की समस्या हुई तो निशान ना बन पाएँ।
- कैलामिन लोशन का प्रयोग करें या दलिए से स्नान करें।
- ढील-ढाल वाले कपड़े पहनें।
गर्भावस्था के दौरान, नवजात शिशुओं को, वयस्क जो अभी चेचक के शुरुवाती दौर में है और वे जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कम है, ऐसे लोगों को चेचक के दौरान चिकिस्तक एंटीवायरल दवाइयाँ जैसे कि एसीक्लोवीर निर्धारित कर सकते है। परंतु यह ध्यान रहे यह सबसे अधिक तभी काम कर सकता है जब लक्षणों के दिखने के 24 घंटे के भीतर दिया जाए। यह सिर्फ लक्षणों को कम कर सकता है, इस रोग का इलाज नहीं।
चेचक की रोकथाम:
इस रोग के वायरस के विरुद्ध टिका उपलब्ध है जिसका नाम हैं वेरीसेल्ला टिका। छोटे बच्चों को दो बार यह वेरीसेल्ला टिका दी जाती है – एक 12 से 15 महीने पर और दूसरा 4 से 6 वर्ष पर। यह टिका करीब 90% तक चेचक को रोक सकता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में नियमित रूप से बच्चों को यह टिका दिया जाता है।
चेचक से जुड़ी कुछ जटिलताएँ:
- वयस्कों में बच्चों की तुलना से अधिक जटिलताएँ देखी जाती है लेकिन उनमें भी दुर्लभ ही होती है।
- यदि वे लाल छाले बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाते है तो स्थिति और भी गंभीर बन सकती है।
- कई मामलों में चेचक से पीड़ित लोगों को न्यूमोनिया भी विकसित करते देखा गया है।
- गर्भवती महिलाएँ, नवजात शिशु, छोटे बच्चें जो केवल 4 हफ्ते के हैं, वे जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हैं- यह सभी चेचक से उपजी जटिलताओं को अधिक महसूस करते या उनसे जूझते हैं।
कुछ इस प्रकार की जटिलताएँ भी देखी जाती हैं:
- इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क का सूजन)
- रेयेस सिंड्रोम:- यह दुर्लभ स्थिति तब देखी जाती हैं जब बच्चे वायरस के संक्रमण से ठीक हो रहे होते हैं। इसमें यकृत और मस्तिषक में सूजन हो जाती है।
अधिकतर लोग इन जटिलताओं के बावजूद भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
चेचक और गर्भावस्था:
- गर्भावस्था के दौरान न्यूमोनिया विकसित करने की संभावना अधिक रहती है।
- भूर्ण के संक्रमित होने का खतरा भी अधिक रहता है।
- यदि गर्भावस्था के केवल 20 हफ्तों के बाद ही संक्रमण हो जाता है तो फीटल वेरीसेल्ला सिंड्रोम का खतरा अधिक रहता है जिसमें शिशु को दाग, आँखों में परेशानी, मस्तिष्क का सूखना, छोटे हाथ और पैर जैसी समस्याएँ देखी जाती है।
- यदि संक्रमण गर्भावस्था के आगे के चरण में हुआ तो वेरीसेल्ला वायरस सीधे भ्रूण में जा सकता है जिससे शिशु उस वायरस के साथ ही जन्म लेते हैं।
- यदि गर्भावस्था के दौरान आप चेचक या शिंगल्स से पीड़ित होती हैं तो चिकिस्तक को अवश्य दिखाएँ।
चेचक और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली:
चेचक से पीड़ित होने और उसके जटिलताओं के शिकार होने की संभावना उन्हें अधिक होती हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर होती हैं। यह कमजोर प्रणाली इन वजहों से हो सकती हैं:
- यदि व्यक्ति कोई दवाई का सेवन कर रहा हो
- यदि व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हो
- यदि व्यक्ति रेडियो या कीमोथेरेपी से इलाज करा रहा हो
- यदि व्यक्ति गंभीर स्थिति जैसे कि लुपस या रिहुमटोइड आर्थराइटिस से पीड़ित हो।
चेचक कोई जानलेवा बीमारी नहीं लेकिन यदि सावधानी नहीं बरती गई तो उससे जुड़ी जटिलताएँ अवश्य हो सकती हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें और स्वस्थ रहें।
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kyaa chechak kaa ilaa sambhav hai? isko theek hone mein kitne din lagte hain? kyaa isse maut bhi ho sakti hai ?
mere ghar mein ek vyakti ke chechak ho rahaa hai main us rog se kin kin tareekon se bach saktaa hoon ? rokthaam ke tareke bataiye