नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)| लोकसभा चुनाव होने तक महत्वाकांक्षी पीएम-किसान योजना का फायदा केवल 38 प्रतिशत किसानों को होगा। योजना का मकसद छोटे और गरीब किसानों को सालाना 6,000 रुपये देना था। इस योजना को लागू कराने वाले अधिकारियों ने बताया कि राज्यों द्वारा सूचनाओं में सही जानकारी न देना, डिजिटल रूप में भूमि से जुड़ी जानकारी न होना और चुनाव आचार संहिता के चलते यह आंकड़ा इतना कम है।
दिसंबर, 2018 से योजना पर काम किया जा रहा था। 1 फरवरी को अंतरिम बजट में इस योजना की घोषणा की गई थी। इसे ग्रामीण संकट को दूर करने के लिए चुनाव में जाने से पहले मोदी सरकार के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा था।
12.5 करोड़ छोटे और गरीब किसानों को जिनके पास दो एकड़ और पांच एकड़ से कम जमीन है, उन्हें सीधा-सीधा योजना का लाभ मिलता है। किसानों को सालभर में तीन किस्तों में 6,000 रुपये सीधे उनके खाते में भेज दी जाती है।
अधिकारियों ने राज्यों द्वारा आवश्यक जानकारी और इसके सत्यापन साझा करने में देरी का हवाला दिया। इसके अलावा उन्होंने भूमि से जुड़ी जानकारी डिजिटल रूप में न होने को भी योजना का फायदा लाभार्थियों को न मिल पाने की वजह बताया।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) के द्वारा अभी तक देशभर के 3.5 करोड़ (28 प्रतिशत) किसानों को सीधे बैंक खातों में 2000 रुपये की पहली किशत दी गई है। उत्तर प्रदेश के 1 करोड़ किसानों अकेले योजना का लाभ मिला है।
अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, लक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, मेघालय, राजस्थान, सिक्किम और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य सभी 22 राज्यों और 5 केंद्रीय शासित प्रदेशों ने या तो लाभार्थियों के नाम केंद्र को भेज दिए हैं या वे ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं।
जैसा कि कृषि मंत्रालय ने फैसला किया है कि 10 मार्च तक पंजीकृत किसानों को ही दूसरी किस्तें दी जाएंगी। इसलिए केवल 4.76 करोड़ (38 प्रतिशत) किसानों को ही योजना का लाभ मिलेगा।
अधिकारी ने कहा, “हम लोग 10 मार्च तक दिए गए नामांकनों की ही जांच करेंगे। इसलिए 4.76 करोड़ लाभार्थियों को ही दूसरी किस्त दी जाएगी।”