भारत व चीन एक-दूसरे के प्रतिद्वंदवी देश माने जाते है। दोनों देशों के बीच में वर्तमान में कई मुद्दों पर विवाद चल रहा है। लेकिन प्राचीन काल, सांस्कृतिक विरासत व धर्मों की बात करे तो चीन व भारत में कई समानता है। भारत मे जहां हिन्दू धर्म की बहुलता है, वहीं चीन में भी हिन्दू धर्म को माना जाता है लेकिन सीमित रूप से। चीन के अल्पसंख्यक निवासियों द्वारा हिन्दू धर्म के कई रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। पुरातात्विक साक्ष्य मध्ययुगीन चीन के विभिन्न प्रांतों में हिंदू धर्म की मौजूदगी के बारे में बताते है।
चीन के कई प्रांतों में हिन्दू मंदिर होने के प्रमाण भी मिले है। हांगकांग मे हिन्दू धर्म के अप्रवासियों का समुदाय भी रहता है। चीन में बौद्ध धर्म के विस्तार के साथ ही इसका असर हिंदू धर्म पर भी देखा गया। दक्षिणी चीन में हिंदू धर्म की मान्यता के प्रमाण मिले है। योग व ध्यान जैसी क्रियाएं भारत से ही उद्भव हुई है, जो कि चीन में काफी लोकप्रिय है। इतना हीं नहीं चीन में कई लोगों द्वारा शिव, विष्णु, गणेश और काली जैसे हिंदू देवताओं की प्रार्थना भी की जाती है।(1)
प्राचीन काल से चीनी धर्मों की बात की जाए तो बौद्ध धर्मों के विपरीत हिंदू धर्म को ज्यादा लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है। दक्षिण-पूर्व चीन में प्राचीन काल के समय छोटा हिंदू समुदाय स्थित था। हिन्दू धर्म के भगवान हनुमान को कुछ विद्वानों द्वारा चीनी पौराणिक चरित्र सुन वुकोंग के लिए एक स्रोत माना जाता है। चीन के दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में दक्षिण भारतीय-शैली वाले हिंदू मंदिर भी थे।(2)
यक्ष के प्रति चीन में विश्वास किया जाता है, वहीं भारतीय इतिहास में यक्ष को राक्षस वर्ग में से माना जाता है। चीन में लोक धर्म में कई कथाओं को हिंदू पौराणिक कथाओं से लिया गया है।
प्राचीन चीनी अभिलेखों और आधुनिक पुरातात्विक अध्ययनों से पता चलता है कि चीन के कई प्रांतो में हिन्दू धर्म को मानने वाले थे। हिंदू धर्म के विचारों को यहां पर मान्यता दी गई थी। उत्तरी चीन के टुन-हआंग (मोगाओ) गुफाओं में बौद्ध धर्म के साथ-साध हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के भी साक्ष्य मिले है। गुफा में हाथी के मुख वाले हिंदू धर्म के भगवान गणेश की मूर्ति मिले होने के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
तमिल हिंदू व्यापारियों के सहयोग से हुआ चीन में हिंदुत्व का विकास
हिंदू धर्म का चीन में विकास मुख्य रूप से तमिल हिंदू व्यापारियों के द्वारा किया गया था। चीनी बंदरगाहों के माध्यम से यहां पर अल्पसंख्यक भारतीय मूल के लोगों ने अपना विस्तार किया। दक्षिणी चीनी प्रांत युन्नान में शिव मंदिर होने के प्रमाण मिले है।
चीन के शिंजियांग प्रांत के लोपनोर व कीजिल गुफाओं में हिंदू धर्म की मौजूदगी के पुरातात्विक प्रमाण मिले है। हिंदू देवी-देवताओं भगवान गणेश व हनुमान जी के साथ रामायण के अन्य भित्तिचित्र भी मिले है। प्राचीन हिंदू ग्रंथों और विचारों को चीन में बौद्ध धर्म के भिक्षु लेकर गए।
चीन में फैले बौद्ध धर्म का विस्तार भारत के मार्ग से होकर ही निकला है। बौद्ध धर्म के विस्तार से पहले प्राचीन काल में चीन के अंदर भगवान शिव व विष्णु की पूजा की जाती थी। प्राचीन चीन में वैदिक सभ्यता को मान्यता दी गई थी जो कि भारत की ही देन थी।
जानकारी के अनुसार चीनी ग्रंथों में हिंदू संस्कृत पाठों का भी उल्लेख मिलता है। भारत में संस्कृत भाषा के शास्त्रों व संहिताओं का उल्लेख चीनी ग्रंथों मे देखने को मिलता है। प्राचीन काल में भगवान कृष्ण से संबंदित भजनो का अनुवाद चीनी भाषा में किया गया। प्राचीन हिंदू संस्कृत शिलालेख चीन के युन्नान प्रांत में पाए गए है।
चीन में हिंदू धर्म को करना पड़ा मुश्किलों का सामना
चीन मे हिंदू धर्म को साम्यवाद के उदय के दौरान अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। 1960 के दशक में चीनी सरकार नें तिब्बत पर कब्ज़ा कर हिन्दू धर्म को पूरी तरह से नष्ट करने की कोशिश की थी। चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने सांस्कृतिक क्रांति के दौरान साल 1966 से 1977 में सभी धर्मों के धार्मिक लोगों को परेशान किया। कम्युनिस्ट सरकार ने जबरन कई धार्मिक भवनों को बंद कर दिया जिनमें हिंदू धर्म भी शामिल था। हालांकि साल 1977 के बाद सरकार ने धर्मों पर अत्याचारों को बेहद कम कर दिया। अभी भी सरकार द्वारा कई धर्मों के लोगों पर जबरन दबाव बनाए जाते है।(3)
चीन में हिंदू जनसंख्या
वर्तमान में चीन में बौद्ध धर्म, ताओवाद, कैथोलिक ईसाई धर्म, प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म और इस्लाम को मुख्य रूप से माना जाता है। चीन आधिकारिक तौर पर एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। चीन मे हिंदू धर्म को सीमित रूप से माना जाता है। हिंदूत्व ने चीन में प्राचीन काल में अपना विस्तार जमाया जिसमें से वैदिक काल की परम्परा मुख्य है।
वर्तमान में चीन में कई हिंदू प्रवासी निवास करते है। लेकिन इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है। ये लोग शांतिपूर्ण तरीके से चीनी अधिकारियों के सहयोग के साथ वहां रहते है और अपने धर्म का पालन करते है। चीनी सरकार ने भारत के स्वामीनारायण ट्रस्ट को उनके देश में मंदिर बनाने के लिए भी आमंत्रित किया हुआ है। अक्षरधाम मंदिरों को बनाने वाले इस ट्रस्ट के लिए चीन ने जगह देना भी निर्धारित कर दिया है। ये ट्रस्ट वहां पर मंदिर निर्माण के साथ भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र के रूप मे विकसित करेगा। इस्कॉन मंदिर ट्रस्ट की भी चीन में उपस्थिति है।
चीन में हिंदू धर्म के साक्ष्य फुजियान प्रांत के क्वान्जहोउ और उसके आसपास पाए जाते है। भगवान शिव के तमिल-चीनी द्विभाषी शिलालेख यहां पाए है। साथ ही मंदिर की 300 से अधिक शिलालेख व कलाकृतियां भी मिली है। वर्तमान में क्वान्जहोउ मे कोई भी हिन्दू नहीं है। प्राचीन मंदिर अभी भी यहां पर खंडहर में देखे जा सकते है। दक्षिण भारतीय लोगो ने यहां पर भगवान शिव व विष्णु के मंदिरों को निर्माण प्राचीनकाल में किया था।