श्रीलंका (sri lanka) को ऊर्जा और हाईवे के लिए चीन (china) से एक अरब डॉलर कर्ज की जरुरत है ताकि द्विपीय देश ईस्टर रविवार के आतंकी हमले से खुद को संभाल सके। गुरूवार को श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने यह बयान दिया है।
मंत्रालय ने कहा कि “चीन के एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ बातचीत जारी है। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने की मांग भी उठानी है।
वित्त मंत्रालय के मंत्री मंगला समसावीरा ने कहा कि “हम आईआईआईबी के साथ एक अरब डॉलर रूपए को लेकर चर्चा कर रहे हैं ताकि ऊर्जा और हाईवे के क्षेत्र में अधिक विकास हो सके।” श्रीलंका की पूर्व सरकार ने बंदरगाह, हाईवे और रेलवे के लिए भारी कर्ज लिया हुआ है।
कई महत्वकांक्षी परियोजनाओं के खत्म होने से श्रीलंका पर भारी कर्ज का भार है और इसमें चीन कर्जदाताओं की सूची में शीर्ष पर है। श्रीलंका के ईसाई नागरिक चर्चों में ईस्टर के त्यौहार का जश्न मन रहे थे कि कोलोंबो आतंक धमाकों से दहल उठा था। इस हमले को अंजाम इस्लामिक चरमपंथियों ने दिया था।
कर्ज को वापस करने में असमर्थ सरकार के प्रधानमंत्री ने चीन को हबनटोटा बंदरगाह 99 वर्षों के लिए बीजिंग की एक कंपनी को 1.12 अरब डॉलर में साल 2017 में सौंप दिया था। समरवीरा ने कहा कि “21 अप्रैल को हुए भयावह हमले के बावजूद देश आर्थिक स्थिरता को सँभालने में सक्षम है।”
आत्मघाती हमले के कारण श्रीलंका में इस वर्ष पर्यटन में 30 फीसदी की गिरावट आयी है और इससे अनुमानित नुकसान करीब 1.5 अरब डॉलर का है। हाल ही में सेन्सस विभाग ने कहा था कि “इस वर्ष पहली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि 3.7 फीसदी थी जो विभागों के अनुमान 3.5 प्रतिशत से बेहतर थी। साल 2018 की अंतिम तिमाही में वृद्धि 1.79 फीसदी और इस वर्ष की शुरुआत में 4.02 फीसदी थी।
बीते महीने श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने मुख्य ऋण दर में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर 8.5 प्रतिशत कर दिया था। 21 अप्रैल को हुए हमले में 45 विदेशी नागरिक थे और करीब 500 लोग जख्मी हुए थे। सरकार ने उन होटलों को सब्सिडी देना शुरू कर दिया है जहां बीते वर्ष राजनीतिक संकट के कारण विदेशी मेहमानो का आना नहीं हुआ था।