चीन निरंतर अमेरिका पर शीत युद्ध की मानसिकता को बनाये रखने के लिए निशाना साधता रहा है लेकिन खुद के सैन्यकरण के इरादों पर चुप्पी साध लेता है। चीन ने अपनी मानसिकता का प्रदर्शन राष्ट्रीय दिवस में आयोजित भारी सैन्य परेड में किया था।
1 अक्टूबर को तिअनन्मन स्क्वायर पर चीन की स्थापना की 70 वीं सालगिरह का आयोजन किया गया था। अधिकतर दर्शक सैन्य परेड की झाँकियो को देखने के लिए एकत्रित हुए थे। स्टेट कमेंटेटर ने बताया कि चीनी सेना के 40 फीसदी हथियारों को पहली बार सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है।
बीजिंग में आखिरी परेड का आयोजन चार वर्ष पूर्व हुआ था। चीनी उद्योग निरंतर नई तकनीक और अधिक क्षमता के हथियारों से बढ़ता जा रहा है। भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे पड़ोसी मुल्क तकनीक के मामले में चीन से काफी पीछे हैं।
इस परेड का सीधा निशाना अमेरिका था। भारत जैसा मुल्क प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर सैन्य हथियारों का प्रदर्शन करता है। पीएलए जिस दक्षता से कार्य कर रहा है, इसमें नई दिल्ली के निवेश और उच्च तकनीक के हथियारों से प्रतिद्वंदता करने का कोई मार्ग नहीं है।
चीन का जेडटीक्यू-15 लाइट टैंक दक्षिण चीन और तिब्बत में संचालन कर रहा है, इस तरीके के टैंको ने परेड में हिस्सा लिया था। लाइट टैंक का भार 35 टन है। इस परेड में पीएलसी-181 ट्रक माउंटेड होइटसर का भी प्रदर्शन किया गया था यह 155 एमएम एल/52 कैलिबर बन्दूक को कैर्री करने के लिए जाना जाता है, यह डोकलाम विवाद के दौरान तिब्बत में तैनात की गयी थी। इसकी अधिकतम दूरी 40 किलोमीटर है।
पीएचएल-03ए 300 एमएम राकेट लांचर को तिब्बत में तैनात किया गया था। इसकी अनुमानित रेंज 280 किलोमीटर है। थल सेना ने परेड में कई हथियारों को दिखाया था इसमें जेडबीडी-03 एयरबोर्न इन्फेंट्री फाइटिंग वाहन , एएफ-10 एंटी टैंक मिसाइल कार्रिएर और जेडबीडी-05 ए वाहन शामिल है।
भारत को अपने उत्तरी सीमा से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि चीनी सेना के समक्ष अधिक मारक क्षमता के हथियार मौजूद है। भारतीय सेना ने टैंक्स और लडाकू विमानों के लिए संघर्ष कर रही है। चीन साइबर रिअलम्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फंक्शन की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।
मिसाइल का क्षेत्र चीन की महान मजबूती को प्रदर्शित करता है। स्टेट ब्रॉडकास्टर ने ऐलान किया कि एक मजबूत राष्ट्र और एक मज़बूत सेना के सपने को साकार करने के लिए मिसाइल एक ताकत है।
कनवा एशियाई डिफेन्स के संपादक एंड्री चंग ने चेतावनी दी कि “हमें आब जागना होगा। आज के हालात जर्मनी में साल 1930 की स्थिति के समान है। चीन के युद्धपोत का निर्माण में तीव्रता आई है और हर साल भारी संख्या में नए हथियारों का प्रदर्शन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि “सबसे खराब तो यह है कि लोग सेना की ताकत पर गुरुर कर रहे हैं।” चीन अधिक से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय हथियार संधियों से अलग है जबकि अमेरिका को रूस के साथ साल 1987 की इंटरमिडीयेट रेंज नयूक्लेअर फाॅर्स को तोड़ने के लिए आँखे दिखाता रहा है। बीजिंग ऐसी किसी भी संधि को मानने से इनकार करता है जो उसकी बैलिस्टिक मिसाइल के जखीरे में कमी लाये।
चीन का हथियारों में इजाफे का मकसद अमेरिका के प्रभाव और ताकत को एशिया से खत्म करना है। यह क्षेत्र को शान्ति और समृद्धता से दूर लेकर चला जायेगा। गठबन्धनो का प्रचार करेगा और बताएगा कि बीते आठ दशको ने अमेरिका ने बहुत तबाही और खून खराबा किया है। पीएलए के डिप्टी डायरेक्टर जनरल कई ज्हिजुन ने परेड के आयोजन में मदद की थी।