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    चीन की महत्वकांक्षी परियोजना

    चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के शुरू चीनी थिंक टैंक की एक रिपोर्ट जारी हुई है, जिमसे भारत का नाम भी शामिल है। इसके तहत कई देश चीन की विदेश परियोजना में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कदमो से दखलंदाज़ी कर रहे हैं। इस  रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर श्रीलंका के हबनटोटा बंदरगाह और ईरान के चाहबार बंदरगाह पर भारत की भागीदारी का उदहारण दिया गया है।

    इस रिपोर्ट का नाम ‘ए स्ट्रैटेजिक एनालिसिस ऑन चाइना ओवरसीज प्रोजेक्ट्स अंडर द बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव हैं और इसे ग्रान्डवीव इंस्टीटूशन ने जारी किया है जो खुद को स्वतंत्र वेबसाइट मानता है। यह सरकार का सलाहकार अनुसंधान समूह भी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेशी बंदरगाह निवेश के शत्रुतापूर्ण व्यवहार दिखा रहे हैं। भारत और जापान जैसे देश क्षेत्रीय निवेश में चीन का मुकाबला कर रहे है और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से चीनी परियोजना में हस्तक्षेप कर रहे हैं। हबनटोटा बंदरगाह में चीन और श्रीलंका के सहयोग ने भारत को सतर्क कर दिया था और इसने भारत को श्रीलंका में अधिक निवेश करने के लिए मज़बूर किया था।

    भारत श्रीलंका के पूर्वी तटीय शहर त्रिंकोमाली में एक प्रकृतिक गैस परियोजना पर भी निवेश कर रहा है। लोगो का मानना है कि यह चीन के निवेश के प्रतिरूप भी हो सकता है। ग्वादर बंदरगाह पर निर्माण ने भारत के शत्रितपूर्व रवैये को उजागर किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव के साथ ही भारत और चीन के बीच भी टकराव तेज़ हो गया है और ग्वादर चरमपंथियों, आतंकवादियों और अलगाववादियों की खटकनाक गतिविधियों से जूझ रहा है।

    भारत ने जनता की राय से समस्याएं उत्पन्न की है और परियोजना को बदनाम किया है। इस सभी समस्यायों की चीनी उद्यम प्रोजेक्ट निर्माण में अनदेखी नहीं कर सकता है। बीआरआई के तहत बंदरगाह परियोजना में निवेश महत्वपूर्ण है। चीनी उद्यम 34 देशों में 42 बंदरगाहों के निर्माण और संचालन में शामिल है। विदेशों में निवेश करने वाले चीनी उद्यमों  की प्रमुख इकाइयां केंद्रीय उद्यम है। 82  फीसदी परियोजना केंद्रीय उद्यम द्वारा कार्यान्वित की जाती है, 10 फीसदी स्थानीय राज्य के स्वामित्व वाले और 8 फीसदी निजी स्वामित्व वाले उद्यमी द्वारा कार्यान्वित की जाती है।

    रिपोर्ट के मुताबिक, रणनीतिक सहयोग बिंदुओं पर चीनी सरकार बेहद सतर्क है। इन रक्षा क्षमता का निर्माण कर के बंदरगाह में निवेश करने वाले चीनी उद्यमों के लिए यह आवश्यक कदम है। इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा प्रणालियों के निर्माण के लिए समग्र योजना बनाना , सुरक्षित और सुचारु क्षेत्रीय व्यापार को सुनिश्चित करना है। यश इस तथ्य पर आधारित है कि चीन की बंदरगाह परियोजना से मेज़बान देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता को कोई नुकसान नहीं होगा।

    चीनी उद्यमों को विदेश बंदरगाह परियोजना में कई परिचालन समस्याएं हैं इसमें वाणिज्य मूल्यांकन में अपरिपक्व मानसिकता भी शामिल है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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