चीन अपनी वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) के जरिए दुनिया के कई देशों तक अपना विस्तार करना चाहता है। चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड (ओबोर) की पहल ने बीजिंग के स्पष्ट उपनिवेशवाद जैसी महत्वाकांक्षाओं का सामना करने के लिए कई अन्य प्रभावशाली देशो को सोचने पर मजबूर कर दिया है। चीन के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कई प्रभावशाली देश एकजुट होकर अपना नया प्रोजेक्ट लॉन्च करने की तैयारी में है।
ऑस्ट्रेलियाई वित्तीय समीक्षा (एएफआर) ने बताया कि चीन के ओबीओआर पहले के विकल्प के रूप में ऑस्ट्रेलिया संयुक्त क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा योजना स्थापित करने के बारे में सोच रहा है। चीन की ओबीओआर पहल के प्रभाव को कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया इस तरह की अलग प्रोजेक्ट पर विचार कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया की योजना में भारत, अमेरिका और जापान भी शामिल हो सकते है।
एएफआर ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी को बताया कि यह योजना चीन के ओबीओआर की “प्रतिद्वंद्वी” नहीं बल्कि एक “वैकल्पिक” के रूप में है। चीन की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के अंदर वैसे ही पाकिस्तान, श्रीलंका व मालदीव जैसे देश शामिल हो चुके है।
चीन दुनिया के ऊपर अपना प्रभाव जमाना चाहता है। इसलिए कई अन्य ताकतवर देश चीन के इस कदम को रोकने के लिए नए प्रोजेक्ट पर विचार कर रहे है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान ही नहीं बल्कि यूरोपीय संघ के राष्ट्र भी चीन की वन बेल्ट वन रोड पहल को प्रतिबंधित करने के तरीकों की तलाश कर रहे है। ये देश चीन की इस पहल को अधिग्रहण के लिए एक चीनी प्रयास के रूप में देखते है।
पाकिस्तान के एक विशेषज्ञ के मुताबिक जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे देशों ने प्रचुर मात्रा में चीनी अधिग्रहण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीन की ये पहल अभी भी यूरोप के कई देशों को साथ लाने में सफल नहीं हो पाई है।
सभी को पता है कि चीन के इस पहले में शामिल होने का मतलब भारी भरकम चीनी कर्जें में डूबना है। जर्मनी में तो चीनी वस्तुओ को कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है। यह भी आवश्यक है कि चीन प्रत्येक यूरोपीय संघ के सदस्य देशों और यूरोपीय आयोग के साथ निवेश से संबंधित जानकारी साझा करे।