चीन के शिनजियांग प्रान्त में लाखों मुस्लिमों को नज़रबंद बनाकर रखा गया है। मानवधिकार समूहों नव संयुक्त राष्ट्र से इसकी जांच करने की मांग की है। मानवधिकार संगठनों ने इस मसले को यूएन मानवधिकार सुरक्षा परिषद में उठाया था और फरवरी के अंत में शुरू होने वाले सत्र में फैक्ट फाइंडिंग मिशन की शुरुआत करने का आग्रह किया था।
मानवधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि मानव अधिकार परिषद चीन को अपनी सदस्यता या आर्थिक मजबूती के पीछे अपने दायित्वों को छुपाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि चीनी नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उनकी सोच यही है कि अत्याचार से उनका कुछ नही बिगड़ेगा, लेकिन सार्वजनिक स्तर पर खुलासा करने से उनकी स्थिति बदलेगी।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ मानवाधिकार निगरानी कर्ता समूह, जिनेवा में स्थित अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार और वर्ल्ड उइगर म्युनिक स्थित समूह ने उइगर संजातीय समूह का प्रतिनिधित्व किया था।
पत्रकारों व जानकारों की जांच के मुताबिक 10 लाख से अधिक उइगर मुस्लिमों को नज़रबंद शिविरों में रखा गया है। चीन का दावा है कि यह प्रशिक्षण संस्थान है। चीनी विभागों ने आतंकवाद का खतरा बताया है और साथ ही चीन के विभागों ने धार्मिक समुदाय के स्थलों को निशाना बनाया है। अधिकारियों ने दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि यह एक धार्मिक व संजातीय समूह की पहचान बदलने का प्रयास है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि शिनजियांग एक खुले कैदखाने के रूप में परिवर्तित हो गया है। जहां के निवासी अपनी ही सरजमीं पर बेगाने हो गए हैं।
बीजिंग ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए कहा है की चीनी प्रशासन ने लोगों को राजनैतिक और सांस्कृतिक तौर तरीके से रूबरू करवाने लिए कैंप में रखा है। पूर्व में बंदी रहे कुछ लोगो से बातचीत कर रिपोर्ट में बताया की कैंप में बंदियों पर अत्याचार किया जाता है और उन्हें वामपंथ को राग अलापने पर मज़बूर किया जाता है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की जारी रिपोर्ट में कहा कि चीन को शिनजियांग प्रांत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर की गई क्रूर कार्रवाई पर जवाब देना चाहिए। इसमें 10 लाख मुस्लिमों पर कार्रवाई की गयी थी। बीजिंग ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर प्रांत में अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों पर बढ़ावा देने के शक पर प्रतिबन्ध लगाए थे।
चीन की यह दमनकारी नीति सन 1949 में तुर्कस्तान पर कब्ज़ा करने बाद शुरू हो गई थी। उइगर मुस्लिमों की धार्मिक गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया जाता था। चीनी भाषा का ज्ञान न होने पर उन्हें नौकरियों से वंचित रखा जाता था।