चीन के शिनजियांग प्रान्त में अल्पसंख्यक मुस्लिमों को नज़रबंद कर कैद गृहो में रखा गया है। अमेरिका ने मानवधिकार उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहा है। अमेरिकी राज्य विभाग के उप प्रवक्ता रोबर्ट पालडिनो ने कहा कि “हम मानवधिकार का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है।”
अमेरिका निरंतर यह मामला उठाएगा
चीन ने अमेरिका पर उसके आंतरिक मसले में दखलंदाज़ी करने का आरोप लगाया था जिसे अमेरिकी उप प्रवक्ता ने खारिज किया और कहा कि वांशिगटन इस मसले को उठता रहेगा। उन्होंने कहा कि “इसके बाबत बोलना जारी रखेंगे। मौजूदा हालात भय उत्पन्न करने वाले हैं और हम इससे सचेत हो चुके हैं। 10 लाख से अधिक अल्पसंख्यकों को कैदी बनाकर शिविरों में रखा गया है।”
उन्होंने कहा कि “हम चीन से इस नीति का अंत करने के लिए निरंतर कहते रहेंगे और निरंकुश ढंग से कैदी बनाये गए लोगों को मुक्त करने के लिए कहते रहेंगे। अमेरिका चीन में मानवधिकार उल्लंघन के बाबत बोलता रहेगा। राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कल इस बात को स्पष्ट कर दिया था। हम तुर्की की सरकार के हालिया बयान की गूँज बनेगे, जिसमे उन्होंने इसे मानवता के लिए शर्मनाक बताया था।”
चीन का बयान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “हमें उम्मीद है अमेरिका अपने रंगे चश्मे को उतरेगा और शीत युद्ध की मानसिकता को खत्म करेगा। मानव अधिकार का बहाना कर अमेरिका को चीन के आंतरिक मसलों में दखलंदाज़ी नहीं करनी चाहिए।”
विदेशी जानकारों, सॅटॅलाइट तस्वीरों और सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक बिना ट्रायल के लगभग 10 लाख उइगर, कजाख और अन्य मुस्लिमों को यहां बंदी बनाकर रखा गया है, जो चीनी पार्टी के प्रति वफादार बन सके।
चीन के पश्चिमी इलाके के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए नजरबंद शिविर बोर्डिंग स्कूल की तरह है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा चीन के नज़रबंदी शिविरों के आलोचना के बाद यहां कैदियों की संख्या घटती जा रही है।