चीन और भारत के बीच विवाद काफी समय से चलता आ रहा है। इसी बीच उत्तराखंड से एक बड़ी खबर आई है। उत्तराखंड में चीन की कंपनियों को विकास योजनाओं में भागीदारी का मौका नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि अन्य पड़ोसी देश भी उत्तराखंड के किसी भी सरकारी विकास योजना में भागीदारी नहीं ले पाएंगे। ना ही किसी तरह की निविदा आदि में शामिल होने का अधिकार उन्हें होगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड की सीमा चीन के काफी नजदीक पड़ती है। अंदेशा जताया जाता है कि कभी ना कभी चीन उस रास्ते भी देश पर हमला कर सकता है व किसी भी तरह का नुकसान देश को पहुंचा सकता है। इस तरह चीन का पूर्णता बहिष्कार करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। अब चीन समेत पड़ोसी देशों की कंपनियां निविदा आदि में शामिल नहीं हो सकेंगी। इसके लिए अधिप्राप्ति नियमावली में संशोधन का आदेश भी प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया है।
यह फैसला कुछ ही समय पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल में दिया गया था। इस तरह विदेशी कंपनियों को उत्तराखंड राज्य में कोई भी टेंडर आदि नहीं मिल पाएगा। यदि कोई भी कंपनी उत्तराखंड में किसी भी विकास कार्य या निविदा आदि में शामिल होती है तो उसको पड़ोसी देशों में रजिस्टर्ड ना होने का प्रमाण पत्र राज्य सरकार को सौंपना होगा।
इसके अलावा भी खबर है कि उत्तराखंड के सरकारी विभागों में भी अब मेड इन चाइना चीन के सामान का बहिष्कार किया जाएगा। सरकारी विभागों में होने वाली किसी भी तरह के सामान आदि की खरीद को वक्त भी यह सत्यापित करना होगा कि वे उत्पाद चाइना में बने या व्यवस्थित नहीं किए गए हैं। यदि कोई कंपनी पड़ोसी देशों के साथ संबंधित है लेकिन फिर भी राज्य में कोई किसी कार्य में संलग्न पाई जाती है तो राज्य सरकार के पास उसके टेंडर को निरस्त करने का अधिकार होगा।