चीन के वैश्विक ताकत के तौर पर विस्तार भारत और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के लिए चुनौतियों को उत्पन्न कर सकता है। भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जुस्टर में सोमवार को यह बयान दिया था।
भारतीय ऊर्जा मंच को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय मामलो में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चीन का वैश्विक ताकत के तौर पर उभारना है। किसी भी परिदृश्य में उभरता हुआ चीन भारत और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के लिए चुनौतियों को उत्पन्न करेगा।”
हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दूसरे अनौपचारिक सम्मेलन में प्रधामंत्री मोदी के साथ मुलाकात करने के लिए आये थे। उन्होए नियमो के आधार पर खुले और समावेशी क्षेत्र की मांग की है। इस क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी का विस्तार करने की कोशिशो में चीन जुटा हुआ है। इस क्षेत्र में हिन्द महासागर और पश्चिमी व मध्य पैसिफिक समुन्द्र, दक्षिणी चीनी सागर भी शामिल है।
बीजिंग समस्त दक्षिणी चीनी सागर पर अपना दावा करता है। वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी इस इलाके पर अपने अधिकार का दावा करते हैं। जुस्टर इस क्षेत्र के बाबत अमेरिका के विचारों को रेखांकित किया था कि अमेरिका और भारत के नेताओं ने और ऐसे ही जापान ने एक दृष्टिकोण को तैयार किया है और मुक्त व खले इंडो पैसिफिक के लिए सिद्धांतो को तय किया है।
राजनयिक ने कहा कि “हम नियमो के आधार पर एक खुले और समावेशी क्षेत्र को चाहते हैं जो सभी देशो की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का का सम्मान करे। हमें नौचालन की आजादी, उड़ान भरने की स्वतंत्रता और वाणिज्य की आजादी की गारंटी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “हम मुक्त और निष्पक्ष व्यापार चाहते हैं और उत्पादों, सुविधाओं, पूँजी और आंकड़ो की मुक्त आवाजाही चाहते हैं। हम चाहते हैं कि क्षेत्रीय और समुंद्री विवादों को शांतिपूर्ण तरीके और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर हल कर लिया जाना चाहिए। हम वह क्षेत्र चाहते है जहां निजी सेक्टर वृद्धि करे और उर्जा की सप्लाई सुरक्षित रहे।”