बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार गलियारे का नाम चीन की अरबो की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की सूची से गायब है। बीआरआई के दुसरे सम्मेलन के अंत में परियोजनाओं की सूची जारी की गयी थी। इस समारोह में 37 राज्यों और सरकारों के प्रमुखों ने शिरकत की थी। इस समरोह के अंत में सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान का का दृढ़ निश्चय करते हुए 64 अरब डॉलर की परियोजना पर दस्तखत किये थे।
साल 2017 की बैठक का भारत ने बहिष्कार किया था क्योंकि सीपीईसी गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। नेपाल-चीन ट्रांस हिमालयन मल्टी डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क में नेपाल-चीन क्रॉस बॉर्डर रेलवे और चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा शामिल था।
साल 2013 में जारी सूची में बीआरआई का भाग बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा शामिल था। लेकिन नयी जारी सूची में 35 गलियारों में बीआरआई के तहत इसका नाम शुमार नहीं था। भारत ने सीपीईसी का विरोध किया है। 2800 किलोमीटर के बीसीआईएमईसी चीन के युनान प्रान्त को कोलकाता से जोड़ेगी और यह म्यांमार के मांडले और बांग्लादेश से होक गुजरेगी।
1700 किलोमीटर की सीएमईसी चीन को हिन्द महासागर तक पंहुचने के लिए एक अन्य मार्ग मुहैया करेगी। यह गलियारा चीन के युनान प्रान्त से मध्य म्यांमार के मांडले को जोड़ेगा और बंगाल की खाड़ी पर स्थित क्यूकपौ विशेष आर्थिक क्षेत्र से यांगून की तरफ बढ़ेगा।
संयुक्त बयान में कहा कि “हम एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता का सम्मान करते हैं और सभी देशो का अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता और विधान के तहत अपनी विकास रणनीतियों को निश्चित करने का अधिकार और प्राथमिक जिम्मेमदारी है।”
सम्मलेन के दौरान बयान में शी जिनपिंग ने कहा कि “व्यापक चर्चा, संयुक्त योगदान और साझा फायदों के सिद्धांत पर अमल करना होगा।” वांशिगटन ने बीआरआई परियोजना को ख़ारिज करते हुए “घमंडी परियोजना” करार दिया है। दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि “बीआरआई के सम्मेलन में अमेरिका से अधिकारीयों को भेजने का वांशिगटन का कोई इरादा है।”