चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का दूसरा सम्मेलन का आयोजन इस हफ्ते किया जायेगा। अमेरिका दूतावास ने बताया कि वांशिगटन बीजिंग के बीआरआई के समारोह में किसी प्रतिनिधि को नहीं भेजेगा। दो वैश्विक आर्थिक ताकतों के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेद जारी है।
इस हफ्ते गुरूवार से शनिवार तक आयोजित बीआरआई बैठक में 37 देशों के प्रमुख और अधिकारीयों के शामिल होने की सम्भावना है लेकिन वांशिगटन ने इस पहल को ख़ारिज करते हुए “घमंडी परियोजना” करार दिया है। दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि “बीआरआई के सम्मेलन में अमेरिका से अधिकारीयों को भेजने का वांशिगटन का कोई इरादा है।”
उन्होंने कहा कि “हम सभी देशों से सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि उनकी आर्थिक कूटनीतिक पहल अंतर्राष्ट्रीय मनको और मानदंडों के तहत होना चाहिए। इसमें सतत, समावेशी विकास होना चाहिए और बेहतर शासन व मज़बूत आर्थिक संस्थान होने चाहिए।”
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीते हफ्ते पत्रकारों से कहा कि “अमेरिकी राजनयिक, राज्य सरकार के प्रतिनिधि और कारोबारी समुदाय के सदस्य इस सम्मेलन में शरीक होंगे।” साल 2017 में बेल्ट एंड रोड समिट में अमेरिका का प्रतिनिधित्व व्हाइट हाउस के सलाहकार मैट पोटिंगेर ने किया था।
जी-7 राष्ट्रों के पहले देश इटली ने बीआरआई के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ा जायेगा और इसके लिए समुंद्री, सड़को और रेल के परियोजनाओं पर भारी निवेश किया गया है। भारत के साथ भूटान ने भी इस सम्मेलन का बहिष्कार किया है।
भारत ने भी पडोसी देशों को कर्ज के जाल में फंसने की चेतावनी दी थी। चीन ने श्रीलंका को अत्यधिक कर्ज दिया जो कोलोंबो से चुकता न हो सका। मजबूरन श्रीलंका को हबनटोटा बंदरगाह 99 वर्ष के लिए चीन के सुपुर्द करना पड़ा।