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    चीनी विदेश मंत्री

    चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि “वह आगामी माह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की दूसरी वैश्विक बैठक की मेज़बानी करेगा। जो पहले सम्मलेन के मुकाबले अधिक भव्य होगा।” इस सम्मलेन में सरकार व राज्य के प्रमुखों की बड़ी संख्या में शरीक होने की सम्भावना है।

    साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि “100 देशों से हज़ार प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शरीक होंगे और यह बेहद भव्य होगा। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बीआरआई के तहत सीपीईसी परियोजना भी है जिसका भारत विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है।

    बीआरआई का बचाव करते हुए चीनी मंत्री ने भारत, अमेरिका और अन्य देशों के दावू को ख़ारिज कर दिया कि इस परियोजना से विकासशील देश कर्ज के जाल में फंसते हैं। उन्होंने कहा कि “बीआरआई कोई कर्ज का मकड़जाल नहीं है किकोई उसमे फंसेगा बल्कि एक आर्थिक फायदा है जिससे स्थानीय आवाम को फायदा होगा।”

    उन्होंने कहा की “यह कोई भूराजनीतिक मसला नहीं है बल्कि संयुक्त विकास का एक महान अवसर है। 123 देशों और 29 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने चीन के साथ बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। भिन्न देशों में कई प्रोजेक्ट हमारी बात को साबित कर देंगे।”

    उन्होंने कहा कि “बीआरआई का शुक्रिया, इसके कारण ईस्ट अफ्रीका के पास पहला एक्सप्रेसवे हैं। मालदीव में पहले इंटर-आइलैंड का निर्माण हुआ है। कज़ाकिस्तान अब समुन्द्र से जुड़ गया है। साउथईस्ट एशिया में हाई स्पीड रेलवे निर्माणाधीन है।”

    हालाँकि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना से दक्षिण एशियाई राष्ट्र यू-टर्न ले रहे हैं और समीक्षा कर रहे है। बलोचिस्तान के स्थानीय नेता इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं और यह दूसरी बीआरआई बैठक में चीन के लिए सरदर्द बनकर उभर सकता है।

    मालदीव भी बीआरआई के तहत चीन से लिए कर्ज की समीक्षा कर रहा है। भारत का पडोसी देश श्रीलंका भी विदेशी कर्ज चुकाने के लिए चीन के नए कर्ज लेने की योजना बना रहा है। बलोचिस्तान के मुख्यमंत्री इस चीनी परियोजना का विरोध कर रहे हैं और चीनी कंपनियों को जमीं सौंपने से इंकार कर दिया है।

    विदेशी कर्ज में फंसा श्रीलंका अब भारत और जापान से सहायता ले रहा है। श्रीलंका ने चीन से 1.5 डॉलर कर्ज लिया था जिसे चुकता न कर पाने के कारण श्रीलंका ने हबनटोटा बंदरगाह चीन के सुपुर्द कर दिया था। श्रीलंका पर चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज 9.2 अरब डॉलर है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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