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    बेल्ट एंड रोड इनिशियटिव

    चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशियटिव (बीआरआई) के जरिए दक्षिण एशिया में विस्तार करना चाहता है। चीन बीआरआई के जरिए दुनिया के कई देशों तक अपनी पहुंच रखने की इच्छा रख रहा है। लेकिन चीन की इस महत्वपूर्ण परियोजना में सबसे बड़ी रूकावट भारत बन रहा है।

    अमेरिकी विशेषज्ञ ने हाल ही में कहा है कि भारत दक्षिण एशिया में चीन की बीआरआई परियोजना पर कुछ हद तक लगाम कसने में कामयाब हुआ है। इनके मुताबिक भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने चीन की इस महत्वपूर्ण परियोजना का विरोध किया है।

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    चीन की बीआरआई परियोजना एशियाई देशों, अफ्रीका, चीन और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और सहयोग में सुधार लाने पर केन्द्रित है। लेकिन हकीकत यह है कि चीन बीआरआई के जरिए अपने व्यापार व प्रभाव को अन्य देशों पर जमाना चाहता है। अमेरिका के जर्मन मार्शल फंड के ऐंड्रयू स्मॉल ने कहा है कि भारत ने चीन की बीआरआई योजना पर कुछ हद तक अंकुश लगाने में सफलता हासिल की है।

    बीआरआई के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) योजना पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है। सीपीईसी योजना पाकिस्तान के कश्मीर से होकर गुजरती है। जिस पर भारत ने अपनी संप्रभुता से संबंधित चिंता कई बार चीन के समक्ष जताई है। चीन के बेल्ट एंड रोड फोरम में भारत ने हिस्सा भी नहीं लिया था।

    बीआरआई से सहमत नहीं भारत

    स्मॉल ने कहा कि भारत सबसे महत्वपूर्ण देश है जो वास्तव में चीनी प्रयासों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। भारत ने श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश में चीन की बीआरआई पर कुछ अंकुश लगाने में कामयाब रहा है।

    आगे कहा कि भारत कुछ चीजों को लेकर बीआरआई से सहमत नहीं हो रहा है। भारत अच्छी तरह से जानता है कि चीन सीपीईसी के जरिए पाकिस्तान पर अपना प्रभाव जमाना चाह रहा है। जो भविष्य में भारत के लिए खतरा भी पैदा हो सकता है।