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    चीन राष्ट्रपति

    सूत्रों के मुताबिक चीन लहासा गोंग्गर हवाईअड्डे पर अंडरग्राउंड बम से सुरक्षित सैन्य शिविरों का निर्माण कर रहा है। यह हवाईअड्डा तिब्बत के स्वायत्ता वाले इलाके में बन रहा है। चीन की यह गतिविधियां भारत के लिए चिंता का सबब बन गई है।

    गोंग्गर हवाईअड्डा नई दिल्ली से मात्र 1350 किलोमीटर की दूरी पर है। सूत्रों के मुताबिक यह क्षेत्रिय क्नेक्टिविटी जल्द ही सैन्य एयरबेस में तब्दील हो जायेगी। यहाँ लगभग 36 जंगी विमान रखे जायेंगे।

    भारत और चीन के रिश्तों में मतभेद उत्पन्न हो रखे हैं। हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने अनौपचारिक दौरे पर वुहान गये थे। वुहान सम्मलेन में दोनों नेताओं ने हालातों को बेहतर करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।

    डोकलाम विवाद के दौरान दोनों राष्ट्रों की सेना के बीच भिडंत हुई थी। सुरक्षा कारणों की वजह से भारत और चीन के मध्य मतभेद उत्पन्न हो गए थे।

    एक अधिकारी की सूचना के अनुसार शत्रु देशों के आक्रमण के दौरान चीनी आर्मी बम से सुरक्षित शिविरों में महफूज रहेगी। उन्होंने बताया कि दी पीपल लीब्रेसन आर्मी यानी चीनी आर्मी के पास यह सुविधा रुसी सीमा पर मौजूद है और साथ ही भारत-चीन सीमा (टार इलाका) पर बम से सुरक्षित शिविर का विकास रक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम है।

    नई दिल्ली को सेना के लिए बम से सुरक्षित अंडरग्राउंड शिविर के निर्माण की सूचना दे दी गई है।

    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद् के सदस्य एस. एल. नरसिंहा ने बताया कि चीन अपनी रक्षा प्रणाली को मज़बूत बना रहा है। भारत को भी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

    भारत के उत्तरी सीमा से सटे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) को बेहतर बनाने का कार्य जारी है। यह एयरफील्ड अरुणाचल प्रदेश के वालोंग, मेचुका, टूटिंग, पशिघट और जीरो में स्थित है। इनका निर्माण दुसरे विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था। जिनका अब दोबारा नए सिरे से निर्माण कराया जायेगा।

    भारत में तैनात चीनी दूतावास ने इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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