अमेरिकी रक्षा विभाग के मुतबिक चीन समस्त विश्व में सैन्य बेस की श्रृंखला का निर्माण का कर रहा है और उसका मकसद महत्वकांक्षी परियोजना बीआरआई के वैश्विक ढांचागत कार्यक्रम में अपने निवेश का संरक्षण करना है। बीजिंग का अभी जिबोटी में एकमात्र सैन्य ठिकाना है लेकिन वह अन्य की योजना बना रहा है।
उनके मुताबिक, पाकिस्तान में भी सैन्य बेस का निर्माण किया जा सकता है क्योंकि वह खुद को वैश्विक ताकत के तौर पर उभारना चाहता है। पेंटागन ने सालाना रिपोर्ट में कहा कि चीन के प्रोजेक्ट में तरक्की विदेशों में सैन्य बेस की स्थापना होगी क्योंकि वह ओबोर के प्रोजेक्टों को सुरक्षा मुहैया करना चाहता है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन अन्य देशों में अतिरिक्त सैन्य ठिकानों की स्थापना करना चाहता है। चीन और पाकिस्तान के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है और संयुक्त रणनीतिक हित है। यह अन्य देशों को विवश कर सकता है और चीनी की सेना हमेशा तैनाती देशों के लिए चिंता का सबब बन सकती है।
चीन सैन्य ठिकानों के लिए मध्य पूर्व, दक्षिणी पूर्वी एशिया और पश्चिमी पैसिफिक का चयन कर सकती है। बीजिंग ने दक्षिणी चीनी सागर पर सैन्य बेस की स्थापना की है।
वांशिगटन पोस्ट ने हाल ही में चीनी सैनिको को पूर्वी ताजीकिस्तान में पहचान की थी। यह चीन और पाकिस्तान की वखान गलियारे के नजदीक रणनीतिक जंक्शन पर है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महत्वकांक्षी परियोजना को आर्थिक रूप से मज़बूत करना चाहता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य वृद्धि से चीनी नेताओं को लाभ हो रहा है और वह देश का प्रब्भुतव अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाना चाहते हैं। चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अमेरिका काफी प्रयास कर रहा है। बीजिंग का नेतृत्व अपने मूल रणनीतिक लक्ष्यों को नहीं बदलेगी।
चीन की बीआरआई परियोजना की वैश्विक जगत में काफी आलोचना हुई है और उनके मुताबिक, चीन छोटे देशों को कर्ज की जाल में फांस रहा है। हाल ही में चीन ने श्रीलंका का हबनटोटा बंदरगाह 99 वर्ष के लिए अपने नियंत्रण में ले लिया है।