चीन के ग्वादर बंदरगाह पर हलचल करने से पाकिस्तान के लिए मुसीबतों का पिटारा खुल सकता है। चीन ग्वादर बंदरगाह पर चीन-पाक आर्थिक गलियारा परियोजना के अंतगर्त आने वाली पोर्ट-पार्क सिटी का निमार्ण कर रहा है। पोर्ट-पार्क सिटी पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर स्थित है।
एक आर्टिकल, ग्वादर : इमर्जिंग पोर्ट सिटी या चीनी कॉलोनी ने मीडिया के हवाले से जारी रिपोर्ट का आंकलन कर बताया कि पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज चीन के लिए ग्वादर बंदरगाह तक पहुंचने का मार्ग तैयार करेगा। चीन इस दोस्ती के बीज से ग्वादर पर लम्बी अवधि तक अपना प्रभाव और मालिकाना हक़ कायम रखने की इच्छा रखता है।
इस आर्टिकल में बताया है कि ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण चीन के लिए व्यापार का एक सुनहरा अवसर है। इस बंदरगाह के विकास से चीन निवेश कर इस इलाके में उद्योगिक हब विकसित करेगा। इससे पाकिस्तान की सरकार के नाक के नीचे चीन पाकिस्तान में ही अपने एक शहर का निर्माण करेगा। मलेशिया चीन की पीपीसी मॉडल से जूझ रहा है और पाकिस्तान में चीन अपनी कॉलोनी के निर्माण की योजना बना रहा है।
साल 2016 में जारी दी नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन साल 2048 तक बलोच नागरिकों को हटा कर चीनी नागरिकों को बसा देने की इच्छा रखता है। इसका उदाहरण मलेशिया की फारेस्ट सिटी दिया। फॉरेस्ट सिटी मलेशिया का विशेष आर्थिक गालियारे में स्थित है। इस इलाके को मलेशिया की सरकार ने चीनी निवेशकों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों की मदद से स्थापित किया था।
चीनी नागरिकों का ग्वादर पर बसने से डेमोग्राफिक दिक्कतें उत्पन्न हो सकती है। इस आर्टिकल में पाकिस्तान को आगाह करते हुए बताया है कि चीन और पाकिस्तान के मध्य राजनीतिक और आर्थिक समझौतों के हालातों पर निगाह बनाये रखे। पाकिस्तान के लिए ग्वादर बंदरगाह पर पीपीसी मॉडल उनकी आर्थिक और घरेलू सुरक्षा के लिए चिंताजनक है। पाकिस्तान को सतर्क रहते हुए अपनी सरजमीं को चीन के आधिपत्य से बचाना होगा।
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने देश के हज़ारों नागरिकों को ग्वादर में बसाने की योजना बना रहा है। इस सूचना की पाकिस्तान को खबर तक नहीं है। ग्वादर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है जहां पाकिस्तान के सबसे कम नागरिक रहते हैं।
पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने बढ़ते विदेशी कर्ज पर चिंता जाहिर की थी। पाकिस्तानी सरकार ने सीपीईसी परियोजना पर दोबारा समीक्षा की बात कही थी।