भारत अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए अब एक कदम उठाने जा रहा है। बिजनेस स्टैण्डर्ड के मुताबिक इसके तहत देश करीब 200 उत्पादों को भारी मात्रा में चीन को निर्यात करेगा। मालूम हो कि भारत चीन के साथ ही सबसे अधिक व्यापार करता है।
हालाँकि चीन के साथ भारत का व्यापार अन्य सभी देशों की तुलना में उतना आसान नहीं रहता है। सरकार द्वारा किए गए एक विश्लेषण में सामने आया है कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों, ऑस्ट्रेलिया व दक्षिण कोरिया जैसे तमाम देशों को चीन के साथ व्यापार करने में भारत की अपेक्षा अधिक लाभ व सहूलियत मिलती है। इन देशों ने चीन के साथ मुक्त व्यापार अनुबंध पर हस्ताक्षर कर रखे हैं।
ऐसे में समुद्री उत्पादों के व्यापार में भारत को इन देशों की तुलना में अतिरिक्त निर्यात शुल्क चुकाना पड़ता है, तब भारत इन देशों से व्यापार के मुक़ाबले में पीछे हो जाता है।
इस समस्या से पार पाने के लिए भारत अब 1975 में हुए एशिया प्रशांत व्यापार अनुबंध के तहत चीन के साथ व्यापार करेगा। इस अनुबंध का मकसद अनुसार भारत, बांग्लादेश, चीन और कोरिया देशों के बीच एक उदार व्यापार नीति का निर्माण करना था, जिसके तहत इन देशों ने आपस में व्यापार करों को कम कर के लिए हामी भरी थी।
फिलहाल चल रहे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के तहत वैश्विक व्यापार को करीब 56 अरब डॉलर का घाटा हो चुका है।