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    dalai lama

    नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा की बढ़ती उम्र के साथ उनके उत्तराधिकारी पर सवाल उठने लगे हैं। दलाई लामा चीन की कार्रवाई से बचने के लिए 60 साल पहले तिब्बत से भारत आ गए थे। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपना घर बनाने वाले तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु कई दशकों से भारत सरकार के संरक्षण का आनंद उठा रहे हैं, जिससे उन्हें पृथकतावादी बुलाने वाले चीन की बेचैनी और बढ़ गई है।

    इस मामले में चीन ने हाल ही में कहा है कि 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर निर्णय चीन में ही होगा। चीन ने धमकी देते हुए कहा कि भारत ने अगर इसमें दखल दिया तो इससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा।

    जहां भारत सरकार इस मुद्दे पर शांत है, वहीं पूर्व राजनयिकों का कहना है कि चीन वास्तव में उस तंत्र को उपयुक्त मानता है जिसके तहत दलाई लामा अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं और इसलिए उसकी मंशा बौद्ध मामलों पर नियंत्रण करने की है।

    विशेषज्ञों के अनुसार, चीन के लिए कब्जे वाले तिब्बत में धीरे-धीरे उबल रहे आंदोलन को रोकने के लिए दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना एक अच्छा तरीका हो सकता है।

    उनके अनुसार, चीन यदि 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव करता है तो तिब्बत में आजादी का आंदोलन शांत हो जाएगा। तिब्बत में आंदोलन के तहत कभी-कभी बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मदाह किया जाता है लेकिन चीन के कड़े नियंत्रण के कारण इसकी जानकारी नहीं मिलती है।

    चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक के. कांत ने आईएएनएस से कहा, “दलाई लामा को दोबारा तय करने के लिए चीन ने अपने नियमों को लागू किया है, और वे दावा करते हैं कि यह उनके नियम के अनुसार होना चाहिए, वहीं इसके लिए दलाई लामा का अपना अलग विचार है।”

    उन्होंने कहा, “दलाई लामा नहीं मानते कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में चीन की भूमिका है। और उन्होंने इस संबंध में कोई संकेत नहीं दिया कि यह कैसे होगा, उसकी पहचान कैसे होगी और उसके पद की पहचान कैसे होगी।”

    पूर्व राजनयिक ने कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है, भारत सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है।”

    चीन में साल 2016 तक भारतीय राजदूत रहे और इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के निदेशक कांत ने कहा कि दलाई लामा यह प्रश्न छोड़ दिया है कि उनके उत्तराधिकारी कैसे आएगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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