चीन ने तिब्बत से संवेदनशील राजनीतिक वर्षगांठ के कारण विदेशी सैलानियों के आगमन पर पाबंदी लगा रखी है।
चीनी ट्रेवल एजेंसियों ने बताया कि तिब्बत में विदेशी सैलानियों को 1 अप्रैल तक आने की अनुमति नहीं है। हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिबन्ध कब शुरू होगा लेकिन निगरानी समूहों के मुताबिक यह इस माह से शुरू होगा।
10 मार्च को तिब्बत में चीनी हुकूमत को 60 वर्ष पूरे हो जायेंगे। चीन ने तिब्बत में अपनी हुकूमत साल 1959 में शुरू की थी। जबकि 14 मार्च 2008 तक राजधानी ल्हासा में सरकारी विरोधी दंगे हुए थे।
इस समारोह के कारण तिब्बत की सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत कर दिया गया है। तिब्बत पूरी तरह विदेशी पर्यटकों, पत्रकारों और कूटनीतिज्ञों के लिए बंद है। यहां की असल हकीकत की जानकारी जुटाना काफी मुश्किल है। 60 वर्ष के इस समारोह पर विभागों का विशेष ध्यान केंद्रित है।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में तिब्बत कानून पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिसके तहत अमेरिकी नागरिक, कूटनीतिज्ञ और पत्रकार बेरोकटोक तिब्बत जा सकेंगे। रायटर्स के मुताबिक चीन ने इस कानून का विरोध करते हुए धमकी दी कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए बलपूर्वक कार्रवाई करेगा।
“रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट” यानी अमेरिकी तिब्बत कानून, जो हाल ही में कांग्रेस की मंज़ूरी के बाद राष्ट्रपति के समक्ष हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। आखिरकार अमेरिका की कथित तिब्बत की जनता की भलाई के लिए इस बिल कानून में परिवर्तित कर दिया गया है।