अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने तल्ख टिप्पणी करते हुए बयान दिया कि चीन अमेरिका के वैश्विक हितों को नजरंदाज कर चुनौती दे रहा है।
साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को भी मध्यावधि चुनाव के कारण कमजोर स्थिति में समझने की भूल कर रहा है। उन्होंने कहा चीन व्यापार का बहाने कूतिनितिक और सैन्य जाल बिछाकर दुनिया में अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता है।
माइक पेन्स ने कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के लिए सत्ता में वापसी चुनौतीपूर्ण होगी। उन्होंने कहा चीन राष्ट्रपति ट्रम्प को अमेरीकी सिंहासन पर नहीं देखना चाहता इसलिए आगामी मध्यावधि चुनाव में दखल देगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि रूस ने जो साल 2016 में अमेरिकी चुनाव में किया था वही चीन विश्व में कर रहा है। उन्होंने कहा चीन का चुनाव में दखलंदाजी के आरोपों को नकारना आश्चर्यजनक था।
इससे पूर्व माइक पेन्स ने रूस के बाद चीन को अमेरिकी लोकतंत्र को प्रभावित करने वाला राष्ट्र बताया थ। उपराष्ट्रपति का यह बयान दोनोंं राष्ट्रों के व्यापार और सैन्य रिश्तों में तल्खी पैदा कर देगा।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका चीन के बाज़ार को हानि नहीं पहुँचाना चाहता। अलबत्ता चीन को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव करना होगा जो अमेरिका के लिए मुक्त, निष्पक्ष और पारस्परिक हो। इससे वंशिगटन बीजिंग के साथ खड़ा होगा।
वैश्विक ताकतों के मध्य ये बैर आगामी समय में अन्य राष्ट्रों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। पिछले सप्ताह हुई यूएन बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन पर मध्यावधि चुनाव में ताकझाक करने के आरोप लगाये थे।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा कि चीन की दक्षिणी चीनी सागर और अन्य स्थानों पर सैन्य ठिकाने बनाने की मंशा की बीजिंग जाहिर नहीं होने दे रहा है। उन्होंने कहा ये सरासर धोखा है और इस अमेरिकी फर्म को बहुत नुकसान होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन को अमेरिकी व्यापार की जरुरत है जिसमें वह निवेश कर अपना मालिकाना हक कायम कर तकनीक की चोरी कर सके।
मसलन गूगल ने चीनी बाज़ार के लिए ड्रैगनफ्लाई सर्च इंजन बनाया जिससे चीनी सरकार मज़बूत हुई क्योंकि इस तकनीक के द्वारा आसानी से जानकारियों को ट्रैक किया जा सकता है।
माइक पेन्स ने चीन पर कर्ज की राजनीति के भी आरोप लगाये। उन्होंने कहा चीन का विकास कार्यों के लिए अन्य राष्ट्रों को कर्ज मुहैया कराना सवालों के घेरों में हैं।
साथ ही उन्होंने चीन पर मानवाधिकार का उल्लंघन करने के आरोप भी लगाये। उन्होंने कहा चीन अपने देश के अल्संख्यक मसलन उइगर मुस्लिमों को शरणार्थी कैम्पों में बंदी बनाकर रख रहा है।