चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को चेतावनी जारी की कि अगर कोई भी चीन को अलग करने की कोशिश करेगा तो कुचल दिया जायेगा। उन्होंने नेपाल के आला नेताओं के साथ व्यापर स्तर की वार्ता की थी और दोनों देशो ने रणनीतिक साझेदारी के द्विपक्षीय संबंधो को उभारा है और कई समझौतों पर दस्तखत किये थे।
नेपाली समकक्षी बिद्या देवी भंडारी ने शनिवार को जिनपिंग से मुलाकात की थी और राष्ट्रपति शी ने अगले दो वर्षो के लिए नेपाल में विकास कार्यक्रम के 56 अरब रूपए का सहयोग करने का ऐलान किया है। विगत 23 वर्षो में नेपाल की यात्रा पर आने वाले शी पहले चीनी राष्ट्रपति है।
उन्होंने अरनिको हाईवे को अपग्रेड करने का आग्रह भी किया था जो काठमांडू को तातोपानी से जोड़ता है जो साल 2015 के भूकंप से तहस-नहस हो गया था। चीनी अधिकारी ने शिन्जुआ न्यूज़ एजेंसी ने कहा कि “नेपाल के प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को मुलाकात के दौरान शी ने कहा कि “जो भी चीन के टुकड़े करने की कोशिश करेगा उसे कुचल दिया जायेगा। किसी भी बाहरी ताकत का ऐसी कोशिशो को समर्थन भी चीन जनता द्वारा कार्रवाई समझी जाएगी।”
शी ने काठमांडू पर दबाव बनाने की कोशिश की है कि नेपाल में दलाई लामा के तिब्बती समर्थको को बाहर करे। नेपाल तिब्बत के साथ एक लम्बी सीमा साझा करते हैं और यह तिब्बत के 20000 निर्वासितो का घर है। हर वर्ष 2500 तिब्बती गैर कानूनी तरीके से नेपाल में तिब्बती सीमा को पार कर प्रवेश करते है और धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात करते हैं।
बीजिंग के मुताबिक, भारत के दलाई लामा चीन से हिमालय के इलाके को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। ओली ने कहा कि “नेपाल चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा का समर्थन करता है और चीनी नीति के साथ खड़े हैं।”
नेपाल चीन के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों के लिए अपनी सरजमीं के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा। शी ने जोर देकर कहा कि उनका देश चीन की एक चीन निति का दृढ़ता से समर्थन करते हैं और चीन के मूल हितो की चिंताओं के मामले का समर्थन करता है।
नेपाल और चीन सच्चे दोस्त और साझेदार है। ओली ने कहा कि दोनों देश हमेशा एक-दुसरे का सम्मान करते हैं, समर्थन करते है और एक-दुसरे के आंतरिक मामले में न ही दखल देते हैं। हमारी पारंपरिक दोस्ती अटूट है।
संयुक्त बयान में नेपाल और चीन ने सीमा प्रबंधन प्रणाली के समझौते पर दस्तखत कर संतुष्टता को व्यक्त किया है जो सीमा प्रबंधन और सहयोग के स्तर में सुधार करेगा। दोनों पक्ष अपराधिक मामले के संयुक्त कानूनी सहायता की संधि पर दस्तखत किये हैं और प्रत्यर्पण संधि पर भी हस्ताक्षर कर संतुष्टि जाहिर की है।
जानकारों में चिंताए भी है कि बीजिंग प्रत्यर्पण संधि का इस्तेमाल नेपाल में तिब्बत के समर्थको के खिलाफ कर सकता है। जानकारो को भय है कि नेपाल में चीनी विरोधी गतिविधियों में शामिल तिब्बत के नागरिको का प्रत्यर्पण ही बीजिंग के दस्तखत का असल मकसद है।
नेपाल और चीन ने रणनीतिक साझेदारी के द्विपक्षीय संबंधो को उभरने का निर्णय लिया है और दोनों पक्षों ने एक-दुसरे की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर रजामंदी जाहिर की है। नेपाली पक्ष ने वन चाइना पालिसी की प्रतिबद्धता को दोहराया है। ताइवान चीन का एक अभिन्न अंग है और तिब्बत के मामले चीन के आंतरिक मामले है।
बयान में कहा कि “नेपाल और चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को एक महत्वपूर्ण अवसर से संयुक्त फायदेमंद सहयोग को गहरा करने के तौर पर लिया है।” दोनों पक्षों ने क्रॉस बॉर्डर रेलवे के निर्माण को शुरू करने में लाचिलता का अध्ययन किया है और काठमांडू-पोखरा-लुम्बिनी रेलवे प्रोजेक्ट पर सहयोग पर विस्तार की प्रतिबद्धता को बताया है।