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    ग्वादर बंदरगाह

    पाकिस्तान ने इनकार किया कि चीन ने ग्वादर बंदरगाह में सैन्य गतिविधियों के लिए बेस स्थापित करने के लिए पूछा था। बता दे कि ग्वादर पाक और चीन की आर्थिक साझेदारी से विकसित हुआ है। ग्वादर बलूचिस्तान प्रान्त के दक्षिणी पश्चिमी भाग में है। इस इलाके में चीन 60 बिल्लियन डॉलर का निवेश कर रहा है।

    पाकिस्तान के नौसेना सचिव रियर एडमिरल जावीद इक़बाल ने कहा कि ग्वादर वाणिज्यिक व्यापार कर लिए है इसमे कोई भी सेना नही आएगी। उन्होंने कहा कि ग्वादर केवल चीन और मध्य एशिया के लिए ही पारगमन का मार्ग नही है बल्कि इस बंदरगाह से सभी इलाकों में समृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि वह इस बंदरगाह में सेना की गतिविधि नहीं होगी।

    इक़बाल जावेद ने कहा कि ग्वादर बंदरगाह में सेना के लिए कोई जगह नही है। यह केवल वाणिज्य व्यापार के लिए है। इस बंदरगाह की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी नौसेना यहां तैनात होगी। उन्होंने कहा कि ग्वादर में विदेशी सेना के बेस की खबरे अफवाह है।

    चीन ने पहला विदेशी बेस पिछले साल अफ्रीका के देश जिबूती में स्थापित किया था। जिबूती हिन्द महासागर के उत्तरी पश्चिमी भाग में है जो भारत सहित पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार और श्रीलंका के लिए मुसीबत बन सकता है।

    ग्वादर बंदरगाह भारत और ईरान द्वारा निर्माणाधीन चारबाह बंदरगाह के कुछ ही दूरी पर है। ग्वादर बंदरगाह के विकास से चीन विश्व तक उत्पादों का निर्यात आसानी से करने में सफल हो जाएगा।

    पिछले वर्ष अमेरिका की पेंटागन ने कहा था कि चीन पाकिस्तान में सैन्य ठिकाने को स्थापित करने के लिए तत्पर है जिसके लिए वह बंदरगाह पर तलाश कर रहा है। चीन ने इस रिपोर्ट को अफवाह करार दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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