यह लेख चीनी सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में सबसे पहले प्रकाशित किया गया था। लेख का हिंदी अनुवाद ‘दा इंडियन वायर’ की टीम ने किया है।
भारत में आजादी के बाद से कई बार हिन्दू और मुस्लिम के बीच कई जगहों पर टकरार के मामले सामने आये हैं। जब हम भारत के दो बड़े धर्म, हिन्दू और मुस्लिम को देखते हैं, तो एक सवाल यह उठता है कि, ‘पुरे विश्व में इस्लाम आतंकवाद फैलने के बावजूद भारत के मुस्लिम इसमें भागीदार क्यों नहीं बने?’
दूसरे देशों से तुलना करने पर देखें तो भारत में मुस्लिम समुदाय को बड़े-बड़े इस्लामी आतंकवाद संगठनों से कभी जोड़ा नहीं गया है। अगर हम एशिया में देखें तो फिलीपीन्स के दक्षिणी भाग में मुस्लिम आतंकवादियों ने कोहराम मचा रखा है। थाईलैंड में भी आये दिन मुस्लिम आतंकवादी हमले करते रहते हैं।
शायद ऊपर उठे इस सवाल का जवाब भारत का दूसरा बड़ा धर्म, यानी हिन्दू धर्म है।
हर धर्म की तरह हिन्दू धर्म की भी चरम सीमा है। लेकिन इसका नरम हिस्सा इससे ज्यादा प्रभावशाली है। शायद यही एक कारण है जिसने भारत को कभी टूटने नहीं दिया और इसे एक करके बांधा हुआ है।
ज्यादातर पर्यटक भारत में स्वर्ण त्रिकोण यानी दिल्ली, आगरा और जयपुर घूमने आते हैं। इस दौरान वे मुख्य रूप से ऐसी जगहों को देखते हैं जो मुग़ल राज के समय पर बनी थी और इसपर मुस्लिम समुदाय का ज्यादा असर दिखता है।
अपने लम्बे इतिहास में हिंदुत्व सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीने का तरीका बन गया है। हिन्दू धर्म की चरम सीमा और नरम सीमा ने इसकी एकता की नींव रखी है और इसी वजह से हिन्दू और मुस्लिम का रिश्ता गहरा हो गया है। और लगता है कि यह रिश्ता लम्बे समय तक ऐसा ही रहेगा।
इस रिश्ते की वजह से ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत में इस्लाम आतंकवादी संगठन अपना दबदबा नहीं बना पाए हैं। पुरे एशिया को देखें तो इस्लाम ने कई देश जैसे फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, पाकिस्तान और कई मध्य एशियाई देशों पर अपना प्रभाव डाला है। इन देशों में अकसर इस्लामी संगठनों की वजह से सांप्रदायिक मुठभेड़ होती रहती है, लेकिन भारत में इसे ऐसा करने का मौका नहीं मिला है।
विश्व ने भारत को इस कारण से पहचाना है। इस्लामी चरमपंती न होने की वजह से आज भारत को अमेरिका, जापान, रूस और बाकी यूरोपीय देशों की तरफ से एक बड़ी शक्ति माना जाता है।
भविष्य में भी जहाँ बाकी देशों में साम्प्रदायिक दंगे होते रहेंगे, भारत इससे बचा रहेगा। इतने धर्मों के बावजूद भारत की एकता को कोई खतरा नहीं होगा।