चीन ने भारत के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के फैसले को गलत तरीके से समझा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि “जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से चीन पर कोई असर नहीं पड़ा है।” भारत के कश्मीर पर फैसले का पाकिस्तान और चीन ने विरोध किया था।
चीन का बेबुनियादी विरोध
जयशंकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि “मेरे ख्याल से चीन ने जम्मू कह्स्मिर पर निर्णय को गलत तरीके से समझा है। प्रस्ताव के पारित होने के कुछ दिनों के बाद मैं चीन की यात्रा पर गया था और उनको समझाया कि जितनी वह चिंता कर रहे हैं, ऐसा कोई परिबर्तन नहीं किया गया है।”
उन्होंने कहा कि “भारत की सीमा में कोई तब्दीली नहीं आई है, लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है।”
भारत ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था और राज्य को दो केन्द्रशासित प्रदेशो में विभाजित कर दिया था। भारत के कदम पर चीन ने चिंता व्यक्त की थी। साथ ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र की गुप्त बैठक को बुलाने की मांग भी की थी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर जयशंकर ने कहा कि “अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया उसके क्रोध और निराशा को दर्शा रहा है पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जिसने कश्मीर मामले के साथ समझौते के लिए एक पूरा आतंकवादियों का उद्योग तैयार कर दिया था। जो अब कहते हैं कि अगर उनकी नीति सफल हुई तो 70 सालो की निवेश बर्बाद हो जाएगी।”
उन्होंने कहा कि “इसलिए आज का प्रतिक्रिया गुस्से और निराशा को व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने इस उद्योग का निर्माण अरसे की मेहनत से किया है।” भारत ने कश्मीर मामले को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा करार दिया है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की दखल को स्वीकार नहीं किया जायेगा।